brahmakumaris Tikrapara
श्रेष्ठ लक्ष्य प्राप्ति के लिए साक्षी और वैराग्य भाव आवश्यक: बीके मंजू

*श्रेष्ठ लक्ष्य प्राप्ति के लिए साक्षी और वैराग्य भाव आवश्यक: बीके मंजू*
*भोजन थाली सजाना और आग्रहपूर्वक स्वीकार कराना भी कला है*
बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे भोग की विधि एवं विधान पर प्रवचन चल रहा है।मंजू दीदी ने कहा कि अलग-अलग अवसरों पर लगने वाले भोग के पात्र और सामग्री अलग होती है। सभी सेवाकेन्द्रो में गुरूवार को भोग लगाया जाता है इससे सेवाकेन्द्र निर्विघ्न और भरपूर रहता है। भोग की थाली सजाना और परमात्मा को एक एक व्यंजन आग्रहपूर्वक स्वीकार कराना भी कला है। परमात्मा अभोक्ता है पर हमारी भावनाएं उन तक अवश्य पहुँचती है। दीदी ने कहा कि अनेक संस्थाए जैसे महर्षि योगी, पातंजलि योगपीठ, गायत्री शक्ति पीठ अपने विशेष योग साधना के अवसर पर बिना लहसुन प्याज के पवित्र भोजन की व्यवस्था करते है। पर ब्रह्माकुमारी भाई बहने इस धारणा को आजीवन सहज अपना लेते है।
परमात्म महावाक्य पर चिंतन करते मंजू दीदी ने कहा कि श्रेष्ठ लक्ष्य प्राप्ति के लिए वैराग्य भाव का होना जरूरी है। परिवर्तन के लिये पुराने संस्कारों सहित देहभान से भी वैराग्य आवश्यक है । परमात्मा कहते है जिस प्रकार जुगनू अंधियारे मे दूर से ही दिखाई देता है उसी प्रकार अशांति के माहौल मे शांति के दाता भी पहचान लिये जायेगे।
दपूम रेलवे बिलासपुर से निजसचिव राजपत्रित अधिकारी पद से सेवानिवृत भ्राता कृष्ण बारापात्रे जी ने अनुभव सुनाते कहा कि लगभग ग्यारह वर्षों से ब्रह्माकुमारी संस्था से जुड़े है। एक कार्यक्रम मे पंचम सिंह के डाकू जीवन से ब्रह्माकुमार बनने का अनुभव सुनने के बाद उनके ऊपर गहरा प्रभाव पडा। फिर सातदिवशीय राजयोग कोर्स किया । मेडिटेशन से कई चुनौती भरे कार्य भी सहज पूर्ण हो गया और परमात्मा की मदद का अनुभव हुआ। दीदी ने भ्राता कृष्ण बारापात्रे एवं युगल को ईश्वरीय सौगात देकर सम्मान किया।