brahmakumaris Tikrapara
छग योग आयोग गठन के छठवे वर्षगांठ पर आयोजित योग प्रशिक्षण में ब्रह्मा कुमारी मंजू दीदी का उद्बोधन*

*चैतन्य आत्मा का परम चैतन्य परमात्मा की याद मे लीन होना ध्यान की श्रेष्ठ स्थिति है: बीके मंजू*
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*छग योग आयोग गठन के छठवे वर्षगांठ पर आयोजित योग प्रशिक्षण में मंजू दीदी का उद्बोधन*
बिलासपुर: योग भवन व्ही आई पी रोड रायपुर मे छत्तीसगढ़ योग आयोग द्वारा आयोग के गठन के छठवे वर्षगांठ पर आयोजित योग प्रशिक्षण शिविर में अष्टांग योग के महत्वपूर्ण अंग *ध्यान* पर व्याख्यान के लिये प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय बिलासपुर टिकरापारा की प्रभारी बीके मंजू को आमंत्रित किया गया। देश के प्रथम योग आयोग की प्रथम महिला सदस्य मंजू दीदी एवं प्रीति बहन का स्वागत श्री रविकांत कुम्भकार, डाक्टर लहजा, श्री छबी ने गुलदस्ता श्रीफल एवं शाल भेटकर किया। प्रशिक्षण शिविर में उपस्थित साधकों को संबोधित करते हुए दीदी ने ध्यान की प्रचलित प्रमुख पांच विधियां पहला मंत्र उच्चारण दुसरा प्रार्थना तीसरा त्राटक चौथा श्वास निश्वास पांचवां विचारो का दमन आदि पर प्रकाश डाला। दीदी ने कहा कि ध्यान वास्तविक मे विचारों की अति अल्प गति को प्राप्त करने की स्थिति है। विचारों की गति पर ही श्वास की गति निर्भर करती है। ध्यान मे सुख शांति का अनुभव करने के लिये मन का शुभभावना शुभकामना युक्त और भोला होना आवश्यक है। दीदी ने कहा कि मोबाइल हम चार्ज इसलिए करते है कि दूसरों से बातें कर सके पर ध्यान मे स्वयं से बात करनी होती है।दीदी ने ध्यान के चारो स्टेज विचार सागर मंथन, परमात्मा से संबंध जोड बातचीत करना, परमात्मा के बिंदु रूप पर मन एकाग्र करना और समाधि की स्थिति का कामेंट्री के साथ गहराई से अनुभव कराया। प्रीति बहन के साथ सभी ने “देखना जो चाहते हो इनकी उडान को” गीत पर डांस कर आनंद का अनुभव कराया।