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स्वयं कार्य करके उदाहरण बनकर औरो को शिक्षा देती थी मनमोहिनी दादी: बीके पूर्णिमा

*परिपक्व बनने के लिए परीक्षाओ को गुडसाइन समझ हर्षित रहो*
*स्वयं कार्य करके उदाहरण बनकर औरो को शिक्षा देती थी मनमोहिनी दादी: बीके पूर्णिमा*
बिलासपुर: प्रभु दर्शन भवन टिकरापारा में आदिरत्नो के विशेषताओं पर चिंतन चल रहा है। मनमोहिनी दादी के विशेषताओं प्रकाश डालते पूर्णिमा बहन ने कहा कि दादी कर्म के द्वारा औरो को शिक्षा देती थी। कथनी करनी मे कोई अंतर नही होता था। हर कार्य एक्यूरेट करती थी। दादी जब दृष्टि देती तो कईयों को बैकुंठ का साक्षात्कार होता था।
परमात्मा के महावाक्य पर चिंतन करते पूर्णिमा बहन ने कहा कि लोगों की इविल बाते नही सुननी है। इविल बाते बहुत नुकसान पहुँचाती है। मोबाइल का उपयोग अगर अच्छे काम के हो तो ठीक है पर लत कब व्यर्थ की तरफ खींच ले पता नही चलता। पूर्णिमा बहन ने कहा कि परिपक्व बनने के लिए जीवन मे अनेक परीक्षाओ को पास करने का अनुभव जरूरी है। इसलिए परीक्षाओ को गुडसाइन समझ हमेशा हर्षित रहना चाहिए। परिस्थिति आने पर ही विशेषताएं प्रत्यक्ष होती है।