brahmakumaris Tikrapara
अच्छे कार्य के लिए स्वयं को दें शाबाशी – ब्र.कु. प्रीति

सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
*अच्छे कार्य के लिए स्वयं को दें शाबाशी – ब्र.कु. प्रीति*
*किसी भी चीज की अति ठीक नहीं होती*
टिकरापारा में चल रहे संस्कार शिविर के छठवें दिन की शुरूआत ज्ञानवर्धक प्रश्नोत्तरी सत्र से हुई। इसके पश्चात् मास्टर योग प्रशिक्षक राकेश भाई ने शरीर के लचीलेपन को बनाए रखने के लिए सूक्ष्म व्यायामों का अभ्यास कराया।
*गौरी बहन ने* समय महत्व बताते हुए कहा कि हमें समय से पहले हर कार्य कर लेना चाहिए। समय निकल जाने पर कभी वापस नहीं आता। इससे संबंधित कविता भी सिखाई बुद्धि और दिमाग चलाने के लिए पहेलियां भी पूछीं।
*ब्र.कु. प्रीति बहन ने* दोहे के माध्यम से बतलाया कि किसी भी चीज की अति ठीक नहीं होती। ज्यादा बोलना भी ठीक नहीं और एकदम चुप रहना भी ठीक नहीं। जब कोई पूछे तो बोलकर जवाब भी दें और जितना जरूरत उतना ही बोलें। बहुत अधिक वर्षा या बहुत अधिक धूप सहन नहीं होती क्योंकि किसी भी चीज की अति ठीक नहीं होती। जब आप अच्छा कार्य करते हैं और उसके लिए कोई प्रशंसा नहीं होती, कोई शाबाशी नहीं देता तो खुद ही खुद को शाबाशी दिया करें।
*वर्तमान समय की वैल्यू हीरे के समान…ब्र.कु. पूर्णिमा*
पूर्णिमा बहन ने बतलाया कि समय का चक्र चलता ही रहता है। चाहे दिन-रात का चक्र हो, मौसम का चक्र हो, मनुष्य की अवस्थाओं का हो या पूरी सृष्टि का चक्र हो। सतयुग में हम सोने के समान पवित्रता में सोलह कला सम्पूर्ण थे। त्रेता युग सिल्वर, द्वापर युग कॉपर और कलयुग में बुराई की अति होने से आयरन एजेड बन गए। अब वो समय चल रहा है जब हम पुनः भारत को सोने की चिड़िया बना सकेंगे। इसलिए अभी का समय हीरे अर्थात् डायमण्ड के समान मूल्यवान है।
*जो हो रहा है अच्छा…*
पूर्णिमा बहन ने आगे बतलाया कि जो भी होता है अच्छा ही होता है और जो होने वाला होता है वह और भी अच्छा होता है। यदि कभी हमारे साथ बुरा भी होता है तो उसमें भी अच्छाई छिपी होती है। हमें कर्म से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए, पूरी मेहनत से हर कार्य करें।
अंत में नीता बहन व गौरी बहन ने गीतों के माध्यम से एक्शन डांस कराया।