brahmakumaris Tikrapara
कर्म करने मे उमंग उत्साह हो तो परिस्थिति कुछ भी नही: पूर्णिमा

*कर्म करने मे उमंग उत्साह हो तो परिस्थिति कुछ भी नही: पूर्णिमा*
*हेड समझने से हेडेक होता है और निमित्त समझने से हेडेक दूर*
बिलासपुर: प्रभु दर्शन भवन टिकरापारा में आदिरत्नो के विशेषताओं पर चिंतन चल रहा है । सुरेन्द्र दीदी ने लिखा कि प्रकाशमणी दादी गंभीर विषयों पर भी बहुत हल्के रहकर निर्णय लेती थी। इसका रहस्य पूछने पर दादी कहती थी अपने को हेड समझने से हेडेक होता है और निमित्त समझने से हेडेक दूर होता है। दादी कहती थी सहनशक्ति से दिव्य गुण स्वतः आ जाती है।
परमात्मा के महावाक्य पर चिंतन करते पूर्णिमा बहन ने कहा कि हर किसी के प्रति शुभभावना रखने से उत्साह भरता है और परिस्थितिवश आने वाले विध्न से सहज पार हो जाते है। परमात्मा से दिल का अटूट प्यार हो तो ईश्वरीय मर्यादाओ पर चलना सहज अनुभव होता है। आगे कहा कि भक्ति के फल के रूप मे भगवान की प्राप्ति होती है और फिर स्वर्ग जिसे पैराडाइस, हैवन, जन्नत आदि नामों से भी जाना जाता है,मे जाने का सौभाग्य मिलता है। राजयोग परमात्मा से जुड़ने का एकमात्र साधन है।