brahmakumaris Tikrapara
खुशी हर पल विषय पर चल रहे राजयोग अनुभूति शिविर

प्रेस विज्ञप्ति
सादर प्रकाश नार्थ:
संसार का चक्र कल्याणकारी है
जीवन में भारीपन समाप्त करने हेतू सभी को शुभ भावनाएं व दुआएं दे
स्वातिका अर्थात सु अस्ति जो सदा शुभ हैl
जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है अच्छा हो रहा है और जो होगा अच्छे से अच्छा होगा -शशिप्रभा
कर्मों का हिसाब- किताब चुकाना ही पड़ता है
संसार में सभी निर्दोष है किसी से कोई शिकायत नहीं करना चाहिए -ब्रह्माकुमारी शशिप्रभा
बिलासपुर :-टिकरापारा,ब्रह्माकुमारीज, प्रभु दर्शन भवन के हार्मनी हॉल में खुशी हर पल विषय पर चल रहे राजयोग अनुभूति शिविर का पांचवा दिन टिकरापारा सेवाकेंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी के सानिध्य में राजयोग शिक्षिका ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा ने उपस्थित सभी शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि सृष्टि चक्र 5000 वर्ष का बना हुआ है इसे स्वस्तिका के माध्यम से समझाया गया है जब भी हम कोई शुभ कार्य करते हैं तो स्वास्तिका निकालते हैं इसका अर्थ है जो सदा शुभ ही है अर्थात कल्याणकारी है परंतु कई घटना सामने जब घटित होती है तो उसमें हमें कोई कल्याण दिखाई नहीं देता फिर हम भगवान को भी दोष देने लग जाते हैंl गीता में कहा गया है जो हुआ अच्छा हुआ जो हो रहा है अच्छा हो रहा है और जो होगा अच्छे से अच्छा होगा वास्तव में संसार में हर घटना में कोई न कोई रहस्य छिपा हुआ है आत्मा अनेक जन्मों की यात्रा करते हुए आ रही है इसलिए हमारे अनेक जन्मों में हमने अनेक आत्माओं से कई प्रकार के हिसाब किताब कार्मिक अकाउंट बनाए हुए हैं कर्मों का यह लेनदेन अपना संतुलन मांगता है जब तक हम इसे संतुलित नहीं कर लेते तब तक जीवन में भारीपन होता है ठीक जिस प्रकार हम मूवी में या सीरियल में देखते हैं कि अंतिम एपिसोड में जब किसी नेगेटिव पात्र को सजा मिल रही होती है तो जिसने सारी मूवी देखती है वह कहता है बहुत अच्छा हुआ लेकिन किसी ने यदि शुरू से मूवी देखी ही नहीं है और केवल लास्ट सीन वह देखें तो कहता कि ऐसा इसके साथ क्यों हो रहा है ठीक इसी प्रकार हम इस संसार में केवल वर्तमान और अपने अतीत को ही देख पाते हैं जबकि परमात्मा इस सृष्टि के आदि मध्य और अंत के ज्ञाता है वास्तव में वह हमेशा सत्य ज्ञान देते हैंl
ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा ने आगे कहा कि हमें अपने अनेक जन्म के किए गए अपने ही कर्मों के लेनदेन को अनेक विधि से चुकाना पड़ता है l इसलिए इस सृष्टि में हर आत्मा निर्दोष है हमें केवल याद नहीं रहता कि इनसे हम किस जन्म में किस कॉस्टयूम में मिले हैं और इसलिए जब कोई हम पर भारी पड़ता है तो हम प्रतिक्रिया कर बैठते हैं l अत:जीवन से भारीपन समाप्त करने के लिए सबको शुभ भावनाएं दे, दुआएं दे l