brahmakumaris Tikrapara
राजयोग हमें सर्व कर्मेंद्रियों का राजा बनाता हैl

प्रेस विज्ञप्ति
सादर प्रकाशनार्थ:
*राजयोग हमें सर्व कर्मेंद्रियों का राजा बनाता हैl*
*राजयोग हमें स्व पर राज्य करना सिखाता है l*
*राजयोग अर्थात आत्मा का मिलन परमपिता परमात्मा के साथ l*
*परमात्मा को याद करना क्यों जरूरी है* ?
*याद से तरंगों का आदान-प्रदान होता है-ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा l*
*परमात्मा की एक सेकंड की याद हमें घटनाओं से सुरक्षा प्रदान करता हैl*
*सर्व संबंध परमात्मा से जोड़ें :- ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा*
*कर्मयोग ज्ञानयोग भक्तियोग राजयोग में सर्व योग समाये हुए हैं l*
बिलासपुर :-टिकरापारा,प्रभु दर्शन भवन के हार्मनी हॉल में राजयोग अनुभूति शिविर खुशी हर पल का 11वां दिन टिकरापारा सेवाकेंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी के सानिध्य में राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी शशिप्रभा ने चल रहे एडवांस शिविर में उपस्थित सभी शिविरर्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि राजयोग अर्थात आत्मा का मिलन परमपिता परमात्मा के साथ मिलन l स्वयं को आत्मा समझकर परम शक्ति परमात्मा के स्वरूप में अपने मन को लगाना यह राजयोग की कला है जिस प्रकार एक तार को कनेक्ट करते हैं तो तार के ऊपरी भाग के रबर को छिला जाता है दोनों तरफ तार को तार से जोड़ने से विद्युत धारा प्रवाहित होती है ठीक इसी प्रकार आत्मा को इस देह रूपी रबर को कुछ पलों के लिए भूलना होता हैl परमात्मा का अपना कोई शरीर नहीं है वह ज्योति बिंदु स्वरूप l जब ज्योति स्वरूप आत्मा उस परमपिता परमात्मा महाज्योति से कनेक्ट होती है तब इसे राजयोग कहा जाता है l राजयोग में हम परमात्मा को सर्व संबंधों के द्वारा याद कर सकते हैं माता , पिता , सखा के रूप में परमात्मा से अपना संबंध स्थापित करके याद कर सकते हैं परमपिता परमात्मा एक सच्चा दोस्त भी है जिसके द्वारा हमें सही गाइडेंस भी मिलता है और वह हमारी बातों को सुनकर कहीं फैलाता नहीं है वह हमें हमेशा मदद करते हैं l
राजयोग हमें सर्व कर्मेंद्रियों का राजा बनाता है, राजयोग हमें स्वयं पर राज्य करना सिखाता है स्व पर राज करने वाला अर्थात स्वयं की सूक्ष्म और स्थूल कर्मेंद्रियों पर राज्य करने वाला ही विश्व पर राज्य कर सकता है अपनी सूक्ष्म कर्म इंद्रियां मन बुद्धि और संस्कार तथा स्थूल कर्मेंद्रियां, आंखें वही देखें जो हमें देखना चाहिए, हमारा मुख वही बोले,जो हमें बोलना चाहिए और हमारी कान वही सुने,जो हमें सुनना चाहिएlआज इंसान दूसरों पर आर्डर करता है इसे यह नहीं वह करना चाहिए l ऐसा नहीं वैसा करना चाहिए परंतु स्वयं पर राज्य नहीं कर पाता l राजयोग अर्थात हम स्वयं की कर्म इंद्रियों के मालिक बनते हैं आज मानव स्वयं की कर्म इंद्रियोंके गुलाम बनते जा रहे हैं l
ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा ने आगे कहा कि हम जिन्हे याद करते हैं उनकी तरंगों से कनेक्ट हो जाते हैं,यदि कोई क्रोधित है,उदास है, निराश है तो हमारे अंदर भी तुरंत पर तरंगे काम करती हैं हम भी क्रोधित, निराश, उदास हो जाते हैं लेकिन हमें कारण समझ में नहीं आता l याद से तरंगों का आदान-प्रदान होता है l सर्वोच्च परमात्मा ही हायर एनर्जी हैं जब हम उन्हें याद करते हैं तो हमारे अंदर सुख शांति प्रेम आनंद की तरंगे प्रवाहित होने लगती है l
राजयोग में कर्म योग ज्ञान योग भक्ति योग बुद्धि योग समत्व योग समाए हुए हैं जब हम कर्म करते परमात्मा को याद करते हैं तो उनकी 1 सेकंड की याद हमें बड़ी से बड़ी घटनाओं से भी सुरक्षा प्रदान करता है l
इस पर अनेक प्रैक्टिकल उदाहरण देकर समझाया गया l अंत में सभी साधकों को सतगुरुवार का भोग बांटा गया l