brahmakumaris Tikrapara
ब्रह्ममुहूर्त परमात्म मिलन का वरदानी वेला- ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा

प्रेस विज्ञप्ति
सादर प्रकाशनार्थ:
*खुशी हर पल एडवांस शिविर का 12 वां दिन l*
*ब्रह्ममुहूर्त परमात्म मिलन का वरदानी वेला- ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा*
*व्यर्थ के बोझ से मन को करें खाली- *शशिप्रभा**
*उपवास अर्थात परमात्मा के निकट कुछ पल रहें l*
बिलासपुर:- टिकरापारा , प्रभु दर्शन भवन के हार्मनी हॉल में खुशी हर पल राजयोग अनुभूति शिविर एडवांस कोर्स का 12 वां दिन सेवाकेंद्र संचालिका मंजू दीदी के सानिध्य में राजयोग शिक्षिका ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा ने शिविरार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस संसार में किसी भी महत्वपूर्ण व्यक्ति से जब हमें मिलना होता है तो उसके लिए खास अपॉइंटमेंट समय लिया जाता है l परमात्मा एक है जो समस्त विश्व की आत्माओं को शक्ति प्रदान करते हैं भक्ति में भक्तों को अनेक रूप में साक्षात्कार कराते हैं इसलिए कहा गया है जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी l वर्तमान समय संगम युग की इस अनुपम वेला में ब्रह्ममुहूर्त के वरदानी समय में परमात्मा अपने बच्चों से पहले मिलते हैं 3:30 से 4:45 का जो समय है यह वरदानी वेला है,परमात्मा ने कहा है कि इस समय वरदानी रूप में अपने बच्चों के पास मैं चक्कर लगाता हूं, बिना मांगे सब कुछ बच्चो को शक्तियाँ, वरदानों से भरपूर करता हूंl
*व्यर्थ के बोझ से मन को करें खाली*
परमात्मा के साथ निकटता का अनुभव करने के लिए व्यर्थ से अपने मन को खाली करना होगा, मन व्यर्थ से भारा है तो उसमें और कुछ भरा नहीं जा सकता जिस प्रकार एक खाली क्लास में हम कुछ डालेंगे तो वह भरेगा लेकिन अगर एक भरे हुए ग्लास में कुछ डालेंगे तो वह बाहर छलक जाएगा, ठीक इसीप्रकार अगर व्यर्थ, नेगेटिव से पहले ही हमारा मन भरा हुआ है तो परमात्मा उसमें जो शक्तियां वरदान देते हैं l वह हम समा नही सकेंगे lजिस प्रकार मोबाइल में मैसेज फुल हो जाता है तो उसमें और मैसेज रिसीव नहीं हो सकता,तो हम डिलीट करते हैं, हम उस मैसेज को डिलीट करते हैं जो हमें पसंद नहीं होता या हमारे काम के नहीं होते हैं,जो बेस्ट होते हैं lठीक इसी प्रकार हमारे मन के अंदर कोई भी बोझ, नेगेटिव ,वेस्ट हैं , उन सभी बोझ से स्वयं को हल्का कर दें l
*क्रोध कड़वाहट कमजोरियों को करें ईश्वर पर अर्पण*
परमात्मा कहते हैं तुम अपने अंदर की कटुता, कुत्सित विचार,काम, क्रोध,लोभ, मोह,अहंकार रूपी कांटों को मुझ पर अर्पित कर दो l हम देखते हैं शिव पर ऐसे कटीले फूल जहरीले फूल कटीले फल चढ़ाए जाते हैं आज मानव बड़ा चतुर हैं स्वयं को ना बदल कर उसने ऐसी चीजें ढूंढ ली जिसे वह अर्पित करने लगा l भगवान कहते हैं तुम मेरे बगीचे के कोमल पुष्प हो,तुम अपने अंदर के कांटों,कमी कमजोरी को मुझ पर अर्पित कर दो लेकिन आज मनुष्य इसका अर्थ अलग निकालता है l
*उपवास अर्थात परमात्मा के निकट कुछ पल रहें l*
उपवास का सच्चा अर्थ बताते हुए ब्रम्हाकुमारी शशिप्रभा ने कहा कि उपवास का अर्थ बहुत गहरा हैl उप +वास अर्थात कुछ पल उस परमात्मा के निकट रहें l शुरुआत में इस प्रकार का नियम बना कि सबसे ज्यादा समय माताओं,बहनों का रसोईघर में जाता है इसलिए चलो एक टाइम या दो टाइम भोजन बंद कर दिया जाए तो समय बचेगा,उस समय को परमात्मा के निकट रहने पर, भगवान की भक्ति करने पर सफल करेंगे, लेकिन आज देखा गया कि भोजन के स्थान पर कई चीजें बनाई जाती हैं जिससे समय और ज्यादा जाता हैl व्रत अर्थात दृढसंकल्प करना, इसलिए हमें अपने जीवन परिवर्तन के लिए कुछ सुदृढ़ और सशक्त निर्णय लेना चाहिए l