brahmakumaris Tikrapara
एक भी इंद्रिय का आकर्षण स्थितप्रज्ञ अवस्था को प्राप्त नही होने देगी: बीके मंजू*

*एक भी इंद्रिय का आकर्षण स्थितप्रज्ञ अवस्था को प्राप्त नही होने देगी: बीके मंजू*
*नामरूप का आकर्षण बुद्धि मलिन करती है, परमात्मा की याद स्वच्छ बुद्धि मे ठहर सकती है*
बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोर नगर मे श्रीमद्भगवद्गीता पर प्रवचन चल रहा है। दूसरे अध्याय के सढसठवे श्लोक मे परमात्मा कहते है किसी एक इंद्रिय का आकर्षण भी पतन का कारण बन सकता है जैसे स्पर्श इंद्रिय के कारण हाथी, कर्ण इंद्रिय के कारण हिरण, चक्षु इंद्रिय के कारण पतंगा का पतन होता है फिर तो पांचो इंद्रियों के वशीभूत मनुष्य की स्थिति क्या होगी।
आगे कहा कि नामरूप के आकर्षण मे फँसकर मनुष्य अपने मूल उद्देश्य से भटक रहे है। आध्यात्म के मार्ग मे यह नामरूप का आकर्षण परमात्मा से दूर कर देता है। परमात्मा कहते है आंतरिक खुशी ही वास्तविक खुशी है जो चेहरे की मुस्कान से झलकती है।
आज सतगुरूवार का भोग परमात्मा को स्वीकार कराया गया और दीदी ने सभी को भोग वितरण किया।