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brahmakumaris Tikrapara

यज्ञ, दान तथा तप आवश्यक कर्म है, इसका कभी त्याग नही करना चाहिए: बीके मंजू

*यज्ञ, दान तथा तप आवश्यक कर्म है, इसका कभी त्याग नही करना चाहिए: बीके मंजू*

*विश्व कल्याण की भावना रखने से निकट संबंध पर परमात्मा की स्वतः कृपा बरसती है*

बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोर नगर मे श्रीमद्भगवद्गीता पर प्रवचन चल रहा है। अठारहवां अध्याय मोक्ष सन्यास योग है। मंजू दीदी ने कहा कि इस अंतिम अध्याय मे पूर्व के सभी अध्याय का सार समाया है। दीदी ने कहा कि जब तक आत्मा शरीर के साथ है कर्म करते करते रहना है। आगे कहा कि यज्ञ, दान तथा तप आवश्यक कर्म है और इसका त्याग कभी नही करना चाहिए पर कर्म फल का त्याग श्रेष्ठता की निशानी है।

 

परमात्मा कहते है सभी प्राणियों के लिये उत्तम, मध्यम और अधम तीनो प्रकार के कर्म के द्वार सदैव खुले है परन्तु इन समस्त कार्यो मे वह नित्य कर्म ही सर्वश्रेष्ठ है जो व्यक्ति के अधिकार को सुशोभित करता है।

 

आगे कहा कि अपने परिवार, समाज इत्यादि हद के दायरे से उपर उठकर पूरे विश्व कल्याण की भावना रखने से निकट संबंधियों पर परमात्मा की मदद स्वतः मिलती रहती है।