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brahmakumaris Tikrapara

भाई बहन के पवित्र रिश्ते का यादगार है भाई दूज: बीके मंजू

*भाई बहन के पवित्र रिश्ते का यादगार है भाई दूज: बीके मंजू*

*ब्रह्माकुमारी परिवार मे बहनों को सम्मान से देखा जाता है*

बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे भाई दूज का आध्यात्मिक रहस्य बताते समीक्षा बहन ने कहा कि हमारे पूर्व कर्म ही कर्मभोग के रूप मे आते है। यमराज की सजाओ से बचने के लिये राजयोग के अभ्यास से विकर्मो का खाता भस्म करना होगा। ब्रह्माकुमारी बहने आत्मस्मृति का तिलक लगाकर काल के भय से मुक्त होने का मार्ग दिखा रही है। परमात्मा और स्वयं की विस्मृति के कारण मनुष्य अपवित्र और दुखी हो पडे है। यहां प्रजापिता ब्रह्मा की संतान होने से भाई बहन का पवित्र रिश्ता बन जाता है। आगे कहा कि लौकिक परिवार को भी ईश्वरीय संतान समझ ट्रस्टी बन सेवा करने से लौकिक संबंधो मे भी दुख का एहसास नही होगा। मै पन का अहंकार ही सभी दुखो का मूल है। मंजू दीदी ने कहा कि ब्रह्माकुमारी बनने के बाद भी लौकिक भाईयों को बहने याद करती है। हर त्यौहार को यहा लौकिक परिवार के साथ यथार्थ रीति मनाई जाती है।

 

*ईर्ष्या, इच्छा और अभिमान प्रसन्नता गुम कर देती है: बीके मंजू*

*नाम मान शान के लिये की गई सेवा की प्राप्ति अल्पकालीन होती है*

बिलासपुर: प्रभु दर्शन भवन टिकरापारा मे सतगुरु वार का भोग परमात्मा को स्वीकार कराया गया। मंजू दीदी ने कहा कि प्रसन्न रहना हर मनुष्य के वश मे है किन्तु ईर्ष्या, इच्छापूर्ति और अहंकार के वश किये गये कर्म के कारण खुशी स्थायी नही रहती। मन मे उठने वाले क्यो? कैसे? के प्रश्नों के कारण प्रसन्नचित्त के स्थान पर प्रश्नचित बन जाते है। आगे कहा कि राजयोग के अभ्यास से व्यर्थ के प्रश्न समाप्त हो जाते है और परमात्मा से प्राप्त सुख के आगे अन्य सभी सुख गौण हो जाते है। मंजू दीदी ने कहा कि नाम मान शान के लिये की गई सेवा कुछ समय के लिये प्रतिष्ठा अवश्य दिलाती है पर पुण्य जमा नही हो पाता। बहनों ने सभी को भाई दूज के उपलक्ष मे आत्मस्मृति का तिलक लगाया और भोग वितरण किया।