सच्चे दिल से कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती – ब्रह्माकुमारी शशि प्रभा
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में बालसंस्कार शिविर का प्रथम दिन
‘‘शिविर में मनोबल बढ़ाने के दो तरीको का वर्णन करते हुए ब्रह्माकुमारी शशिप्रभा दीदी ने कहा कि सबसे पहला नियम स्वयं का परिवर्तन। बिना स्वयं के परिवर्तन के हम विश्व का परिवतन नही कर सकते। नास्तिक वह नही है जिसका भगवान पर विश्वास न हो बल्कि नास्तिक तो वो है जिसका कि स्वयं पर विश्वास न हो . “नन्ही चीटी दीवारों पर सौ बार वो चढ़ती है, चढ़ते दीवारों पर कई बार फिसलती है,आखिर उसकी मेहनत बेकार नही होती क्योंकि कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती” हमें भी सच्चे दिल से कोशिश करते रहना चाहिए, विपरीत परिष्ठितियो में भी अपनी एकाग्रता को बनाये रख शांतचित रहना चाहिए, और दूसरा सूत्र यह है की अपनी अन्दर छुपी हुई अपार शक्तियों को पहचानना क्योकि हम अपनी शक्तियों का 10 प्रतिशत भाग ही प्रयोग में लाते है”
डायमंड ग्रुप में कक्षा “6वी से 10वी” के बच्चे सामिल “
:- प्रजापिता ब्रह्माकुमारी टिकरापारा सेवाकेन्द्र की बहन ब्र.कु शशिप्रभा दीदी ने बच्चो को संबोधित करते एकलव्य की कहानी के माध्यम से बताया, कि संसार में सबसे बड़े धनुधर में अर्जुन के साथ एक और नाम भी आता है वो है एकलव्य का, गुरु के प्रति आस्था, श्रध्दा , अटूट विश्वास का नाम है एकलव्य ने दक्षिणा स्वरुप अपने अंगूठा दे देने के पश्चात भी अपनी कमी को अपनी शक्ति बना लिया, अगर हम्मे अपने लक्ष्य को पाने की चाह है तो स्वत ही मार्ग निकलता जाता है शिविर छोटे एवं बड़े बच्चो के दो ग्रुप में चल रहा है, आपने बच्चो को ध्यान मैडिटेशन का अभ्यास करवाया. मन पढाई में लगे उसके लिए ॐध्वनी व् एक्शन गीतो की मदद से अच्छी-अच्छी सीख दी,
एंजिल ग्रुप के कक्षा “पहली से पाचवी” तक के बच्चो ने दिखाया उमंग :- गौरी बहन एवं संगीता बहन समेत अन्य बहनों ने शिविर में सम्मिलित छोटे बच्चो के ग्रुप को संबोधित करते हुए सभी को होलिस्टिक एक्सरसाइज, प्राणायाम में कपालभाती, अनुलोम विलोम, कपालभाती, आसन, गायत्रीमन्त्र, अन्य अभ्यास भी करवाए। आपने घमंडी अजगर की कहानी के माध्यम से जीवन में घमंड करने से होने वाले दुष्परिणामों को बताया। शिविर के अंत में बच्चो ने प्राप्त शिक्षा को सभी को सुनाया, एवं सभी को टोली वितरित किया गया,