Rajrishi
गुरुसेवा को सर्वोपरि मानते थे श्रीराम – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
*लव कुश ने श्री राम चरित्र की दी मनमोहक प्रस्तुति*
*गुरुसेवा को सर्वोपरि मानते थे श्रीराम – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*
राज किशोर नगर सेवाकेन्द्र में राम दरबार की झांकी सजाई गई…
बिलासपुर राज किशोर नगर : हिन्दू नववर्ष के अवसर पर शिव अनुराग भवन, राज किशोर नगर में राम दरबार सजाया गया जिसमें राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, ऋषि मुनि, भरत, शत्रुहन व लव कुश के रूप में बच्चे सजे रहे।
लव व कुश के रूप में सजे हुए बच्चों ने श्री राम चरित्र की गाथा की भावपूर्ण व मनमोहक प्रस्तुति दी।
सेवाकेन्द्र में आज से ही आयोजित नवधा रामायण में राम जी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए ब्रह्माकुमारी मंजू दीदीजी ने कहा कि श्रीराम जी का गुरु सेवा के प्रति समर्पण भाव था।
रामजी ने अपने कुलगुरु वशिष्ठ, जाबालि और वामदेव से शिक्षा ग्रहण की। मुनिश्रेष्ठ विश्वामित्र से भी उन्हें अनेक शक्तियाँ प्राप्त हुई थीं। वे अपने गुरुजनों का बहुत सम्मान करते थे। हर कार्य में उनका आदेश प्राप्त कर ही शुरूआत करते हैं। अपने जीवन में वे गुरु आज्ञा को सर्वोपरि मानते हैं। अपने गुरु से पहिले ब्रहममुहूर्त में उठकर सन्ध्या वन्दन व अग्निहोत्र यज्ञ करके उनकी सेवा में पहुंच जाना और रात में उनके चरण दबाने के बाद सोने के लिए जाना उनकी चर्या में शामिल है। वे कभी अपने गुरु की बात अपने तर्क से काटने की कोशिश नहीं करते हैं। जब कभी उनको अपना पक्ष रखने की आवश्यकता होती है, वे बड़े संकोच के साथ क्षमा मांगते हुए अपनी बात कहते हैं।
राम दरबार की झांकी में माही चद्राकर लव के रूप में, कुश के रूप में कु. अविका विश्वकर्मा, हनुमान के रुप में शिवांश, दिव्यांशु, सोहम, सीता के रूप में चंचल लालचंदानी, प्रतीक्षा, काव्या, प्रियांशी, राम के रूप में रजत साहू व कार्तिक सोनी, वनवासी सीता के रूप में जान्हवी व रूहानी मनसुखानी और वनवासी राम के रूप में दक्ष साहू विराजित थे।
सेवाकेन्द्र के सदस्य भूषण वर्मा ने बतलाया कि कल माता पिता के प्रति श्रीराम के चरित्र का वर्णन किया जाएगा। सभी सादर आमंत्रित हैं।