Rajrishi
सतो, रजो, तमो तीनो गुणों के बंधन से मुक्त मनुष्य गुणातीत और सर्वश्रेष्ठ होते है: ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

*सतो, रजो, तमो तीनो गुणों के बंधन से मुक्त मनुष्य गुणातीत और सर्वश्रेष्ठ होते है: ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*
*खुशियों का दान श्रेष्ठ दान है।*
बिलासपुर:- शिव अनुराग भवन राजकिशोर नगर में श्रीमद्भगवद्गीता के चौदहवे अध्याय गुण त्रय विभाग योग पर चिंतन करते मंजू दीदी ने कहा कि सभी योनियो मे मनुष्य श्रेष्ठ है और सभी जन्मों मे यह जन्म हीरे तुल्य है इसलिए इसी शरीर मे श्रेष्ठ प्रालब्ध के लिए पुरुषार्थ करना है।
परमात्मा कहते है यह ज्ञान सभी ज्ञान से श्रेष्ठ है और इस ज्ञान के बाद अन्य सभी ज्ञान विलुप्त हो जाते है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि परमात्मा यह ज्ञान ऐसे समय देते है जब मनुष्यों के पास सभी धर्मों सहित साइंस का ज्ञान भी सुलभ रहता है।
प्रत्येक मनुष्य को हर हाल मे कर्म करना ही है और प्रत्येक कर्म पर सतो, रजो अथवा तमो किसी एक प्रधान गुण का प्रभाव होता है । सतोगुण का प्रभाव शुभफल रजोगुण का पीडादायक या थकाने वाला और तमोगुण का अंधकारमय भय उत्पन्न करने वाला होता है इसलिए मनुष्य कर्म के बंधन मे बंधा रहता है।
लेकिन जो मनुष्य इन तीनो गुणों के *बंधन* से मुक्त हो कर्म करता है उसकी स्थिति गुणातीत या कर्मातीत होती है, यही सर्वश्रेष्ठ स्थिति है और ऐसे मनुष्य मुक्ति व जीवनमुक्ति धाम मे श्रेष्ठ स्थान को प्राप्त करते है ।