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Rajrishi

ब्रह्माकुमारीज़ में सिवाय नुकसान पहुंचाने वाली बुराइयों के अतिरिक्त कुछ नहीं छुड़ाया जाता

*ब्रह्माकुमार बनकर मैने कोई त्याग नही किया बल्कि भाग्य बनाया और विशाल परिवार पाया:ब्रह्माकुमार राजू भाई, माउन्ट आबू*

 

*ब्रह्माकुमारीज़ में सिवाय नुकसान पहुंचाने वाली बुराइयों के अतिरिक्त कुछ नहीं छुड़ाया जाता*

 

*अथक मेहनत से आखरी में आने वाले साधक भी आगे जा सकते हैं…*

बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे माउंट आबू से बिलासपुर पधारे राजयोगी ब्रह्माकुमार राजू भाई ने कहा कि बिलासपुर के कार्यक्रमो से मीडिया के माध्यम से जुड़ा रहता हू। मंजू बहन व सभी बहनें परमात्मा का प्यार सबको बांटने की सेवा करके सबका भाग्य बना रही है। नये साधकों को बधाई देते हुए आपने कहा कि आपको घर परिवार, दैनिक कार्य छोड़ना नही है बल्कि अच्छी तरह से परिवार की पालना करते बुराईयों, नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों के प्रति आसक्ति को छोड़ना है।

 

उन्होंने अपना अनुभव सुनाया कि “पन्द्रह साल की उम्र मे 1971 मे माउंट आबू गया था। प्रकाशमणि दादी की ज्ञान योग की पालना से वहीं समर्पित होने का निश्चय किया और जब समर्पित हुआ तो मुझे महसूस हुआ कि मै एक छोटे परिवार के बदले बहुत विशाल परिवार मे आ गया हूं। जहां भी जाता हू चाहे भारत मे चाहे विदेशों मे अलौकिक परिवार का अद्भुत प्यार मिलता है।”

 

ब्रह्माकुमारीज़ मुख्यालय माउंट आबू

मे राजू भाई परमात्म महावाक्य मुरली को पूरे विश्व के ब्रह्मावत्सो तक पहुँचाने का अति महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सम्हाल रहे है। पूरे विश्व के सभी सेवाकेन्द्रो मे एक ही ज्ञान मुरली का सत्संग बहनों द्वारा सुनाई जाती है।

 

इस पर महाभारत के एक दृष्टांत को राजू भाई जी ने सुनाया कि जब कृष्ण मथुरा जाने के लिए गोपियों से विदा ले रहे थे तो राधा ने कृष्ण से मुरली उन्हें सौंपने की शर्त यह सोचकर रखी कि शायद कृष्ण अपनी प्रिय मुरली नही छोड़ पायेंगे। और कृष्ण मुरली गोपियों को सौपकर चले गये। राजू भाई ने कहा कि जब ब्रह्मा बाबा 1969 मे अव्यक्त हुए तो मुरली अर्थात् सत्संग कराने की सेवा बहनों ने ले ली।

 

आज भी नये साधक जुड़ रहे है उनके लिये राजू भाई ने कहा कि परमात्मा का विशेष वरदान सभी को है कि वे तीव्र पुरुषार्थ कर लास्ट सो फास्ट और फास्ट सो फर्स्ट नंबर पर जा सकते है। बस थक कर प्रयास छोड़ना नही।

 

राजू भाई का स्वागत छत्तीसगढ़ के पारंपरिक राऊतनाचा से हुआ फिर गौरी बहन ने तेरी मुरली की धुन सुनने गीत पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। मंजू दीदी ने कहा कि जब जब मधुबन से आये महारथियों के कदम पडते है तो सेवास्थान नंदनवन बन जाता है। कार्यक्रम मे कासगंज उत्तरप्रदेश से बीके करूणा, बीके अनिता, बीके रूपम, बीके रीना, बीके आरती, कोरबा से बीके बिंदु बिलासपुर तोरवा से बीके राखी विशेष रूप से उपस्थित रही।

 

*कार्यक्रम की वीडियो लिंक*

https://www.youtube.com/live/DA1nFg84zzk?feature=share

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