*शांति और आनंद वाले खुले वातावरण में करें योग का अभ्यास – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*
*योग सीखने वाले आरंभिक साधकों के लिए सुनहरा अवसर, शुरूआत से किया जा रहा प्रशिक्षित*
*समूह में योग करने से सभी के प्रकम्पन्नों का मिलता है सहयोग…*
बिलासपुर, राज किशोर नगर, 8 जून 2024 ः- योग का आरंभ शुद्ध संकल्पों से ईश्वर की प्रार्थना से करना चाहिए क्योंकि इससे मन की शांति के लिए सहायक वातावरण बनता है। हमें सही रीति प्राणवायु अर्थात् ऑक्सीजन मिल सके इसलिए योगाभ्यास खुले, हवादार स्थान पर शान्ति और आनन्द के वातावरण में खाली पेट या हल्के पेट करना चाहिए। शारीरिक गतिविधियों की सहजता के लिए हल्के और आरामदायक सूती कपड़ों को प्राथमिकता दें। कोई पुरानी बीमारी, दर्द या हृदय संबंधी समस्या होने पर योगाभ्यास करने से पूर्व किसी चिकित्सक या योग प्रशिक्षक से परामर्श अवश्य करें। योग अभ्यास धीरे-धीरे, तनाव मुक्त तरीके से, शरीर और सांस की जागरूकता के साथ किया जाना चाहिये। सांस को तब तक न रोकें जब तक ऐसा करने के लिए न कहा जाये। शरीर को कसा हुआ या झटके के साथ न रखें। अभ्यासों को अपनी क्षमताओं के अनुसार करें। सत्र का अंत गहन मौन या शांति पाठ से करें।
उक्त योग से पूर्व सावधानियों की जानकारी देते हुए छ.ग. योग आयोग की सदस्य रहीं ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने शिव-अनुराग भवन, राज किशोर नगर में चल रहे 21 दिवसीय योग शिविर के दौरान कही। 1 जून से प्रतिदिन सुबह 6 से 7 बजे तक चल रहे इस निशुल्क योग शिविर में नए व पुराने साधकों को संबोधित करते हुए दीदी ने कहा कि सीधे जमीन पर योगाभ्यास न कर चटाई, दरी, कम्बल अथवा योग मैट का प्रयोग करना चाहिए। थकावट, बीमारी, बढ़ी हुई श्वांसों की गति, जल्दबाजी एवं तनाव की स्थिति में योग न करें। जब तक आपको कहा न जाए श्वांस-प्रश्वांस की गति नहीं रोकनी चाहिए। यदि कमजोरी या थकावट महसूस हो तो योग से आधे घण्टे पूर्व गुनगुने पानी में शहद मिलाकर पी लें। अभ्यास सत्र के बीस-तीस मिनटों के उपरान्त ही भोजन या स्नान करना उचित होगा।
आज के योगाभ्यास सत्र का संचालन योग प्रशिक्षिका ब्र.कु. ईश्वरी बहन ने किया व मास्टर ट्रेनर ब्र.कु. अमर भाई ने योग का प्रदर्शन किया। निरीक्षण के लिए मास्टर ट्रेनर ब्र.कु. गायत्री दीदी, ब्र.कु. प्रीति बहन, ब्र.कु. राकेश भाई एवं अन्य उपस्थित होते हैं।