Rajrishi
कर्म का महत्व व उसके लाभ और हानि को जानने वाला ही क्षेत्रज्ञ -ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
*कर्म का महत्व व उसके लाभ और हानि को जानने वाला ही क्षेत्रज्ञ -ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
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*दीदी ने बतलाया मुस्कुराहट का महत्व*
बिलासपुर राज किशोर नगर – शिव-अनुराग भवन राज किशोर नगर में चल रहे श्रीमद्भगवत गीता के एडवांस व्याख्यानमाला में अध्याय 13 पर मनन-चिन्तन किया गया। जिसमें ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ को परिभाषित करते हुए कहा कि पांच ज्ञानेन्द्रिय, पांच कर्मेन्द्रिय, चार अंतःकरण से युक्त हमारा शरीर क्षेत्र कहलाता है और अपने कर्म के महत्व, उससे होने वाले लाभ व हानि को जानने वाला क्षेत्रज्ञ कहलाता है।
दीदी ने बतलाया कि क्षेत्रज्ञ का अर्थ हमारे ज्ञान से है। नम्रता, अहिंसा, क्षमा, सादगी, आडम्बर से मुक्ति, गुरू की सेवा, मन और शरीर की शुद्धता, दृढ़ता व आत्मसंयम, इन्द्रिय विषयों के प्रति उदासीनता, निरहंकारिता, समभाव, अनन्य और अविरल भक्ति, आध्यात्मिक ज्ञान में स्थिरता और परम सत्य की खोज को भगवान ज्ञान कहते हैं और जो भी इनके प्रतिकूल हैं उन्हें भगवान ने अज्ञानता कहा है।
दीदी ने इस अध्याय की शुरूआत से पूर्व मुस्कुराहट की महत्ता बताई और कहा कि बच्चों के चेहरे पर मुस्कान के लिए अध्यापक की मुस्कान, मरीज का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए डॉक्टर की मुस्कान, परिवार में खुशियों का माहौल बनाने के लिए गृहणी व घर के मुखिया की मुस्कान, कर्मचारियों के मन का प्रेशर कम करने के लिए एक बिजनैसमैन या कंपनी के मालिक की मुस्कान, ग्राहक की खुशी के लिए दुकानदार की, अन्जान को भी मुस्काराना सिखाने के लिए स्वयं की मुस्कान आवश्यक है।
और इसलिए मुस्कुराना जरूरी है क्योंकि ये खुशी और संपन्नता की निशानी है और इसमें कोई खर्च भी नहीं लगता। क्रोध में दिया गया आशीर्वाद भी बुरा लगता है और मुस्कुराकर कहे गए शब्द भी अच्छे लगते हैं। मुस्कुराहट मनुष्य होने की पहचान है क्योंकि एक पशु मुस्कुरा नहीं सकता। मुस्कुराना ही जीवन है।