Rajrishi
सात दिवसीय श्रीमत भागवत गीता ज्ञान यज्ञ बुरे संस्कारो की आहुति के साथ संपन्न हुआ

बिलासपुर टिकरापारा कथा स्थल ग्राम रमतला “श्रीमद भागवत गीता ज्ञान यज्ञ मन समर्पित तन समर्पित और यह जीवन समर्पित
चाहता हूँ मातृ -भू तुझको अभी कुछ और भी दू।
उक्त कथन रमतला गाँव गुड़ी चौक में चल रहे सातवें दिन की भागवत कथा में राजयोगिनी तपश्विनी ब्रह्माकुमारी शशि प्रभा दीदी जी अपनी उद्बोधन में कहा कि संसार में उत्पन्न प्रत्येक जीव कर्म बंधनो से बंधा हुआ होता है और उसे कही न कही अपने तन,मन और धन को लगाना होता है
तन जीव को चाहिए की वह अपने तन समर्पण राष्ट्र,समाज और देश सेवा और नवनिर्माण में लगाये क्यूंकि इस मानव शरीर का पालन पोषण राष्ट्र और समाज के द्वारा ही होता है।
धन जीव को चाहिए की अपने धन को परिवार के जीविका निर्वहन में लगाये क्यूंकि परिवार उस पर ही आश्रित होता है अतः धन का अर्जन कर जीव को अपने परिवार का भरण पोषण,अतिथियों के सेवा एवं परमार्थ के कार्यो में लगाना चाहिए।मन जीव को अपने मन का समर्पण परमात्मा में करना चाहिए क्यूंकि यह मानव देह भगवान का ही दिया हुआ है अतः उनके चरणों में अपने मन को लगा कर उनकी निष्काम भक्ति चाहिए
अलौकिक-रीति से हवन का कार्यक्रम –
इस हवन कार्य क्रम में सभी श्रद्धालुओ ने लौकिकरीती से अपने बुरे संस्कारों ( आलस्य, अलबेला, शराब, सिगरेट, गाली देना, ज्यादा बातें करना, दृष्टि वृत्ति ख़राब होना, ईर्ष्या,धृणा, द्वेष, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि) अनेक प्रकार के बुरे संस्कार को हवन कुंड में जौ-तिल के साथ सभी बुरे संस्कार को स्वाहा किया गया। इसमें देवन्ता क्षत्री व जनक क्षत्री परिवार के सभी सदस्य एवं ग्रामवासी भाई बहने उपस्थित थे