Rajrishi
स्वयं पर दया से कर सकेंगे दूसरों पर दया – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

बिलासपुर टिकरापारा :- माताएं बहनें दया और करूणा की अवतार होती हैं। अपनी सहूलियत, सामर्थ्य के अनुसार किसी की मदद करना दया का एक अंश है लेकिन यदि हम अपनी क्षमता से अधिक, त्याग के आधार पर दूसरों के लिए कुछ करते हैं तो वह पूर्ण दया कहलाएगा और एक मां इसकी साक्षात् मिसाल है। हम जो अंदर होता है वही बाहर निकलता है इसलिए सबसे पहले दया का भाव स्वयं के लिए होना चाहिए तब वह बाहर निकलेगी और दूसरों पर दया का भाव होगा। स्वयं पर दया अर्थात् अपने को कोसने या अपने लिए गलत सोच का सबसे पहले त्याग करें।
उक्त बातें मातृ दिवस एवं ‘दया एवं करूणा के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण’ कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। आपने मां के लिए कहा कि जहां में जिसका अंत नहीं है वही मां है। धरती मां का भी हमें बहुत कुछ देती हैं, महात्मा भी मां जैसे होते हैं जो हमें सर्व के मात-पिता परमात्मा से मिलाते हैं।
इस अवसर पर उपस्थित सभी माताओं-बहनों के द्वारा ‘दया एवं करूणा के लिए आध्यात्मिक सशक्तिकरण’ कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलन कर उद्घाटन किया गया। पूछो ना है कैसी मेरी मां…गीत पर नृत्य करते हुए कु. गौरी ने सभी की आंखें नम कर दीं। साथ ही भावेश भाई ने तेरी उंगली पकड़ के चला…गीत पर भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत किया।