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brahmakumaris Tikrapara

*कर्म की गति को यथार्थ समझने से तात्कालिक नुकसान मे दुःख की अनुभूति नही हो सकती: बीके मंजू*

*कर्म की गति को यथार्थ समझने से तात्कालिक नुकसान मे दुःख की अनुभूति नही हो सकती: बीके मंजू*

*असली सुन्दरता आत्मा की है, शरीर की सुन्दरता का प्रभाव अल्पकालीन होता है*
 *बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोर नगर मे खुशी हर पल शिविर* के तीसरे दिन की शुरूआत मेडिटेशन द्वारा शांति की अनुभूति के साथ हुआ। मंजू दीदी ने कहा कि रात के सोने के पूर्व के दस मिनट और उठने के पश्चात दस मिनट के हमारे मन की स्थिति का प्रभाव सारे दिन की दिनचर्या पर पडता है। अगर इस समय हमारे विचार सकारात्मक रहते है तो सारा दिन इसका प्रभाव रहता है।
ब्रह्माकुमारीज सेवाकेन्द्र मे सुबह शाम परमात्म महावाक्य मुरली सुनने से बुद्धि सकारात्मक विचारो से भरपूर हो जाती है।
आगे दीदी ने कहा कि कर्म का सिद्धांत सही अर्थ मे समझने से हर घटना मे कल्याण नज़र आता है। कई बार धन या संपत्ति की चोरी के रूप मे कर्मभोग आता है। अगर पूर्व जन्मों के हिसाब किताब के कारण घटना घटी तो धन या संपत्ति वापस नही मिलेगा किन्तु विकर्म का बोझ तो कट चुका।
 हर स्थिति मे कल्याण ही छिपा है पर नुकसान का चिंतन बार बार करने से आत्मा की शक्ति कम हो जाती है और दुख बढता है, चिंतन करते रहना या पूर्ण विराम लगाना, निर्णय हमारे ऊपर है।
आगे दीदी जी कहा कि रूह और जिस्म का अजीब इत्तेफाक है उम्र भर साथ रहे पर रूबरू ना हो सके, आत्मा और शरीर के बीच का संबंध है, एक साथ रहते भी आत्मा स्वयं का अनुभव नहीं कर पाती। मनुष्य शरीर संवारने में जिदगी गुजार देते है परंतु असली सुन्दरता तो आत्मा की ही होती है ।
 अंत में दीदी ने सभी को आज से पहले आज से ज्यादा खुशी आज तक नहीं मिली… गीत पर एक्सरसाइज का अभ्यास कराया