पवित्रता की मुख्य निषानी है रक्षासूत्र – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में आध्यात्मिक रहस्यों के साथ मना रक्षाबंधन का पर्व
‘‘यूं तो बंधन शब्द ही किसी को अच्छा नहीं लगता लेकिन यह रक्षा बंधन का पर्व सबको बहुत अच्छा लगता है सभी इस बंधन में बंधना चाहते हैं क्योंकि यह बंधन पवित्रता की मुख्य निषानी है और पवित्रता आत्मा का मूल गुण है। इस पर्व का महत्व अर्थात् पवित्रता का महत्व वर्तमान समय संगमयुग पर स्वयं परमात्मा आकर सुनाते हैं और जो इसका महत्व समझ कर अपने जीवन में पवित्रता को अपनाते हैं वे वास्तव में इस पुरानी दुनिया को स्वर्ग बनाने में परमात्मा के मददगार बनते हैं। इसी पवित्रता के यादगार स्वरूप द्वापर युग से इस पर्व को मनाना प्रारंभ करते हैं। तिलक लगाते समय यह स्मृति रहे कि हम शरीर नहीं अपितु एक चैतन्य शक्ति आत्मा हैं और मिठाई है सदा मीठे बोल बोलने का प्रतीक जो कि तब ही संभव है जब हमारी वृत्ति अच्छी होगी, मन शुद्ध होगा। साथ ही खर्ची देने की प्रथा यह संकेत देता है कि हम अपनी बुराईयां व विकार परमात्मा को समर्पित कर दें।’’
ये बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा के ‘हार्मनी हॉल’ में रक्षाबंधन के पावन अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी ने पर्व का महत्व समझाते हुए कही।
रक्षासूत्र को बना लें परिवर्तन शक्ति का डोर….
दीदी ने सभी को प्रतिज्ञा कराते हुए कहा कि रक्षाबंधन पर परमात्मा के प्यार में बंधकर राखी को परिवर्तन शक्ति का डोर बना लें….और एक-दूसरों के गुणों व अच्छे कर्मां को ही देखने, व्यर्थ संकल्पों से मुक्त रहने, समय को सफल कर सदा खुषी में रहने एवं जीवन को गुणों व आंतरिक शक्तियों से सम्पन्न बनाने के लिए सभी संकल्पित हुए। साथ ही दीदी ने संस्था प्रमुख दादी जानकी जी का माउण्ट आबू से व इंदौर, रायपुर, भिलाई की बड़ी दीदीयों का राखी पर दिव्य संदेष सभी को सुनाया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में साधक उपस्थित हुए, जिन्हें ब्रह्माकुमारी बहनों ने परमात्मा की ओर से रक्षासूत्र बांधा और मुख मीठा कराया।
ईष्वरीय सेवा में,
ब्र.कु. मंजू
बिलासपुर टिकरापारा
सादर प्रकाषनार्थ,
भ्राता सम्पादक महोदय