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विष्व परिवर्तन के लिए भगवान को पवित्र कुमार चाहिये- ब्रह्माकुमार हेमन्त भाई
प्रेस विज्ञप्ति
विष्व परिवर्तन के लिए भगवान को पवित्र कुमार चाहिये- ब्रह्माकुमार हेमन्त भाई
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में दो दिवसीय सेल्फ रियलाइजे़षन रिट्रीट का आयोजन
‘‘कुमार जीवन बेषकीमती जीवन है। परमात्मा जब इस धरा पर विष्व परिवर्तन का बिगुल बजाते हैं तो सबसे पहली नजर पवित्र कुमारों पर पड़ती है क्योंकि दुनिया में सब कुछ मिलेगा, बलवान, रूपवान, धनवान भी बहुत मिल जायेंगे लेकिन पवित्र कुमार दुर्लभ ही मिलेंगे। भगवान से मांगने वाले बहुत हैं लेकिन अपनी पवित्रता के द्वारा भगवान को सहयोग देने वाले ब्रह्मचारी कुमार हैं। इसलिए परमात्मा से सर्व प्राप्ति के लिए सबसे अनुकूल परिस्थिति कुमारों के पास है। एक समय ऐसा आयेगा कि विष्व की सारी आत्माएं उनके सम्मुख सुख, शांति की अंचलि, मुक्ति, जीवनमुक्ति मांगने के लिए खड़ी रहेगी। ऐसे कुमार ही महान हैं, जो केवल तन से युवा नहीं बल्कि जिनका हर कण, तन, मन पवित्र हो, वो चाहे शरीर से वृद्ध ही क्यों न हो। ऐसे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति का स्थान पूरे सृष्टि चक्र में महत्वपूर्ण होता है।’’
ये बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा के ‘हार्मनी हॉल’ में आयोजित दो दिवसीय सेल्फ रियलाइज़ेषन रिट्रीट को संबोधित करते हुए माउण्ट आबू से पधारे ब्रह्माकुमार हेमन्त भाई ने कही। आपने कहा कि इस तरह के रिट्रीट पानी में रखे हुए चीनी को घोलने का कार्य करते हैं। जब तक चीनी घुलेगी नहीं तब तक मिठास नहीं आयेगा, उसी प्रकार बहुत सी ज्ञान की बातें हमारे अंदर होती हैं लेकिन जब हम ऐसे रिट्रीट में आते हैं तो वह ज्ञान हमारे जीवन में झलकने लगता है, व्यवहार में आने लगता है।
आज के सत्र में कई अलौकिक सत्र शामिल थे। सत्र की शुरूआत ‘एन्जिलिक वॉक’ से हुई जिसमें सभी कुमारों ने सेवाकेन्द्र से मन्नू चौक तक शांति के साथ भ्रमण किया जिसमें बीच-बीच में आसपास के वातावरण को शुद्ध करने के लिए शांति की स्थिति में खड़े होकर प्रकम्पन्न फैलाये। इसके पश्चात् कार्यक्रम का विधिवत् उद्घाटन दीप प्रज्ज्वलन से किया गया जिसमें, सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी, हेमन्त भाई, कृषि विकास अधिकारी सुरेष भाई, …..क्षत्रीय भाई, सीनियर इंजीनियर दिलीप भाई शामिल हुए।
इसके बाद के सत्र में हेमन्त भाई ने आत्मगौरव-सेल्फ एस्टीम विषय पर प्रकाष डाला, एवं मेडिटेषन सत्र के अंतर्गत ‘स्वदर्षन’ व आउट ऑफ बॉडी एक्सपीरियन्स के लिए ‘कब्रिस्तान से परिस्तान’ सत्र में सभी ने ध्यानाभ्यास कर गहन अनुभूति की। इसके पश्चात् बहुत ही रोचक सत्र ‘दुआओं की सुरंग’, ‘गुण-सुगंध’ में सभी ने हर एक को अलग-अलग दुआएं दी, इस प्रकार सभी के मन में वरदानी दुआओं की वर्षा होने लगी। प्रष्नोत्तरी सत्र के रूप में ‘गॉडली कैफे’ बनाया गया जिसमें सभी को विभिन्न समूहों में बांटा गया और सेवाकेन्द्र की पांच बहनों ने सभी के प्रष्नों के उत्तर दिये। अंत में मंजू दीदी ने ब्रह्माकुमारीज़ के इंदौर ज़ोन के भूतपूर्व निदेषक भ्राता ओमप्रकाष जी के सानिध्य में हुए अनुभवों को साझा किया।
भगवान के बच्चों का पहला धर्म है पवित्रता – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
कार्यक्रम में उपस्थित साधकों को आषीर्वचन देते हुए सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी ने कहा कि मन-वचन-कर्म की पवित्रता भगवान के बच्चों का पहला धर्म है। आज के युवा तो ज्यादातर विध्वंसकारी कार्य में बहुत जल्दी एकत्रित हो जाते हैं लेकिन समाज सुधार के कार्य में ऐसे कल्याणकारी कुमार ही सहयोगी बन सकते हैं। मोबाइल, इंटरनेट, सोषल मीडिया के गलत उपयोग के कारण आज के युवाओं की दिषा नकारात्मक होती जा रही है। जिस प्रकार बीमारियों की पहचान के लिए हम ब्लड टेस्ट कराते हैं। उसी प्रकार विचारों का टेस्ट भी जरूरी है, यह टेस्ट या तो एकांत में मनन-चिंतन करने से या इस प्रकार के सामूहिक रीट्रिट या युवाओं के संगठन में आते हैं। घृणा, ईर्ष्या, द्वेष का आना विचारों की बीमारी है। विचारों की स्वच्छता से सभी बीमारियां नष्ट होने लगती हैं। गलत को कितना भी सही करने की कोषिष करें क्योंकि गलत तो हमेंषा गलत ही रहेगा, सत्य के सूर्य को असत्य के काले बादल छिपा नहीं सकते।