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Rajrishi

सच्ची आजादी

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????सच्ची आजादी????

पांच विकारों से जब तक नहीं पाएंगे आजादी      रुक नहीं सकती है तब तक भारत की बर्बादी

जब से हम सब हुए हैं माया रावण के गुलाम      तब से हमारी दैवी संस्कृति हो रही है बदनाम

छल कपट को बनाया हमने उन्नति का आधार      कर्ज में डूब गया है भारत धन ले लेकर उधार

मन बुद्धि की स्वच्छता कितनी हो गई मलीन      स्वार्थ फैला नस नस में जैसे मिट्टी कण महीन

लोभ लालच का कीड़ा फैला रहा है भ्रष्टाचार      इक दूजे से करते हैं सब स्वार्थ युक्त व्यवहार

अपने लालच के वश भूल गए देश का विकास      करनी मुश्किल हो रही भारत माँ की पूरी आस

देखो हमारे मन के विचार हो गए इतने संकीर्ण     अपने स्वार्थ वश करते अपनों का हृदय विदीर्ण

दुःख देकर किसी को मन कभी नहीं पछताता      दिल हुए पत्थर के इसलिए रोना भी नहीं आता

धोखा देकर अपनों को ख़ुशी का अनुभव करते      पाप करते समय हम भगवान से भी नहीं डरते

किए जा रहे पापकर्म जैसे हो अपना अधिकार     भ्रष्ट हो गए हैं इतने कि भूल गए सब शिष्टाचार

कैसे पाएंगे अपनी संस्कृति की खोई हुई प्रतिष्ठा     कैसे जागे हमारे मन में इक दूजे के प्रति निष्ठा

नहीं रहेंगे सुख कभी जो पाए हों छल कपट से     गुम होंगे वो ऐसे जैसे दृश्य हटता है चित्रपट से

एक ही बात पते की है समझो इसे गहराई से     सच्चा सुख मिलेगा अपने दिल की सच्चाई से

सप्त गुणों से सजी हुई हम आत्माएं सतोप्रधान    b यह स्मृति जगाकर हो जाएं विकारों से अनजान

विकारमुक्त जीवन बनाता हमें सुख शांति संपन्न    दुःख सारे मिट जाते खुशियां होती रहती उत्पन्न

ना सताए जब विकारी दुनिया का कोई संस्कार     सबका हितकारी हो जब अपना हर एक विचार

विकारी जीवन से जब पूरी मुक्ति मिल जाएगी     सच्चे अर्थों में वही हमारी आजादी कहलाएगी

?????ॐ शांति?????

 

 

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