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व्यक्ति के जीवित रहते उनकी इच्छाओं को पूरी करें – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*

सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
*व्यक्ति के जीवित रहते उनकी इच्छाओं को पूरी करें – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*
*कर्म के आधार पर निर्मित संस्कार आत्मा के साथ जाते हैं*
*दुख-अशान्ति हमारे ही कर्मों के फल, इसके लिए भगवान को दोष न दें*
*अकलतरी में सत्संग का आयोजन*
*ब्रह्माभोजन का महत्व भी बताया गया*
*अकलतरी* :- जब भी हमारे कोई संबंधी शरीर छोड़ देते हैं तो उनके निमित्त दान करते हैं, उनकी पसंद के व्यंजन बनाकर दूसरों को खिलाते हैं। ये सभी कर्म भले करें लेकिन वास्तव में तो जब वो हमारे बीच जीवित रहते हैं तब ही हमें उनकी इच्छाओं को पूरा कर देना चाहिए उनकी पसंद की चीजें खिलाना चाहिए, उनके नाम से दान करा देना चाहिए। आत्मा एक वस्त्र का त्याग कर दूसरी देह रूपी वस्त्र धारण करती है। वह हमें कुछ समय देखती है, महसूस करती है।
उक्त बातें *ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने ग्राम अकलतरी में रामखिलावन साहू के वार्षिक श्राद्ध पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में सत्संग* कराते हुए कही। आपने बतलाया कि सौ ब्राह्मण से उत्तम एक कुमारी गाई जाती है। और यहां पवित्र कुमारी बहनों ने ईश्वर की याद में ब्रह्मा भोजन बनाया। इस भोजन के लिए तो देवताएं भी तरसते हैं। हमें अन्न का कणा भी व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। कर्मों की श्रेष्ठता के आधार पर ब्राह्मण कुल का गायन है। वही श्रेष्ठ कर्म परमात्मा से सीख कर सद्गुणों को धारण करने वाले ब्राह्मण कहलाते हैं।
*ब्रह्माकुमारी रूपा दीदी* ने आत्मज्ञान सुनाते हुए कहा कि जब कोई व्यक्ति देह का त्याग कर देता है तो हम कहते हैं कि फलां व्यक्ति चला गया जबकि पार्थिव शरीर वहीं होता है। इसलिए वास्तव में जाने वाली आत्मा है जो पुनर्जन्म की यात्रा में आगे निकल जाती है। पांच तत्वों से बना शरीर तो पांच तत्वों में ही विलीन हो जाता है। लेकिन आत्मा अजर-अमर-अविनाशी सत्ता है इसका विनाश नहीं होता। मन-बुद्धि-संस्कार आत्मा के सूक्ष्म अंग हैं। वास्तव में हमारे अच्छे या बुरे कर्मों के आधार पर ही निर्मित संस्कार हमारे साथ जाते हैं। हमारे जीवन के सुख या दुख हमारे ही कर्मों के फल होते हैं इसके लिए कभी भगवान को दोष नहीं देना चाहिए।
मंजू दीदी ने उपस्थित सभी ग्रामवासियों को आध्यात्मिक ज्ञान का निःशुल्क लाभ लेने के लिए अकलतरी, पोंड़ी-दल्हा, मधुवा में स्थित ब्रह्माकुमारी पाठशाला या बलौदा सेवाकेन्द्र में आने का निमंत्रण दिया। ईश्वर को याद करके ब्रह्माभोजन का भोग लगाया गया तत्पश्चात् सभी ने ब्रह्मा भोजन स्वीकार किया। ब्रह्माभोजन बनाने में ब्रह्माकुमारी पूर्णिमा बहन, ईश्वरी बहन, श्यामा बहन, नीता बहन, प्रीति बहन के साथ कुछ भाई सहयोगी रहे।