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Rajrishi

आध्यात्मिक ज्ञान दिवस के रूप में मनाया गया ब्रह्मा कुमारीज की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जी का पुण्य स्मृति दिवस

*सादर प्रकाशनार्थ

प्रेस विज्ञप्ति*

 

*आध्यात्मिक ज्ञान दिवस के रूप में मनाया गया ब्रह्मा कुमारीज की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जी का पुण्य स्मृति दिवस*

 

*सर्व गुणों की खान, शान्ति की अवतार व गंभीरता की देवी थी मम्मा*

 

*रुहानियत, स्वमान, परमात्मा के साथ सर्व संबंध मम्मा की मुख्य विशेषताएं – ब्रह्मा कुमारी मंजू दीदी जी*

*शिव अनुराग भवन राजकिशोर नगर -* रुहानियत, स्वमान और परमात्मा से सर्व संबंध व स्नेह – इन गुणों को स्वयं में धारण करने से देह का अभिमान सहज खत्म हो जाता है। ममता वाली मां नहीं, अच्छी मां, टीचर, गुरु जैसी मां । खुद के सबूत से सिखाने वाली मां। गंभीरता और धैर्यता के कारण मम्मा में समाने और समेटने की शक्ति थी। समाने और समेटने के कारण मम्मा सहनशीलता की मूर्त थी। सहनशीलता के गुण के कारण सदा शीतल और शांत थी। किसी भी बात में क्रोध तो क्या परंतु आवेश भी नहीं आया। शांति की अवतार प्रेम की मूर्त थी।

 

उक्त बातें ब्रह्मा कुमारीज़ की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जी के 57वें पुण्य स्मृति दिवस पर ब्रह्मा कुमारी मंजू दीदी जी ने उनकी विशेषताओ पर प्रकाश डालते हुए कही। संस्था द्वारा आज के दिन को *आध्यात्मिक ज्ञान दिवस* के रूप में मनाया जा रहा है.

 

दीदी ने बतलाया *मम्मा हमेशा दो मंत्र याद* रखती और सभी को याद दिलाती कि हर घड़ी अंतिम घड़ी, हुकमी हुकुम चला रहा हैं। मम्मा के जीवन में एक्यूरेसी और समयबद्धता थी साथ ही दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करते थे जिससे सभी अपने जीवन में हर कार्य को सही समय पर कर सकें और सफलता प्राप्त कर सकें।

 

मम्मा हमारा ध्यान खिचवाते थे कि शक्ति जमा करने में कितनी मेहनत करते हो और व्यर्थ संकल्प व बातों में खर्च कितनी जल्दी कर लेते हो, फिर उदास आ जाती है और जब कोई परिस्थिति आती तो कमजोर होकर कहते हो कि मुश्किल है क्योंकि ताकत नहीं रहा जाती। इसलिए स्वयं को ज्ञान योग में सदा व्यस्त रखें।

 

सतसंग के पश्चात मातेश्वरी जी को भोग स्वीकार कराया गया व सभी साधकों ने मम्मा को पुष्पांजलि अर्पित की व संकल्प लिया कि हम भी मम्मा जैसी विशेषताओं को अपने जीवन में धारण करेंगे। अंत में सभी को प्रभु प्रसाद वितरण किया गया।

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