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Rajrishi

त्रिकालदर्शी व त्रिलोकीनाथ हैं त्रिमूर्ति भगवान शिव – ब्रम्हाकुमारी गायत्री बहन

*सादर प्रकाश नार्थ

प्रेस विज्ञप्ति*

*त्रिकालदर्शी व त्रिलोकीनाथ हैं त्रिमूर्ति भगवान शिव – ब्रम्हाकुमारी गायत्री बहन*

श्रावण मास के तीसरे सोमवार को लटेश्वर नाथ मंदिर के प्रांगण में लगाई गई आध्यात्मिक चित्र प्रदर्शनी

*परमात्मा शिव ही आदि सनातन धर्म की स्थापना करते है – ब्रम्हाकुमारी नीता बहन*

मस्तूरी : ब्रम्हाकुमारी मस्तूरी सेवा केंद्र में आज श्रावण मास के तीसरे सोमवार को ब्रम्हाकुमारी बहनों ने सेवा केंद्र में स्थापित शिव मंदिर में शिवजी की पूजा अर्चना की जिसमें भ्राता गोविंद जेसवानी, मीना जेसवानी व अन्य भाई बहन पूजा में शामिल हुए।

तत्पश्चात ब्रम्हाकुमारी बहनों ने लटिया तालाब स्थित प्रसिद्ध लटेश्वरनाथ मंदिर के प्रांगण में आध्यात्मिक चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से मंदिर में आए हुए श्रद्धालुओं को परमात्मा का यथार्थ परिचय दिया एवं भगवान शिव के चरित्र का वर्णन किया।

 

*ब्रह्माकुमारी गायत्री बहन* ने बताया कि परमात्मा त्रिलोकीनाथ त्रिकालदर्शी व त्रिदेव के रचयिता है अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवताओं द्वारा सृष्टि के स्थापना, पालना और विनाश अर्थात सृष्टि परिवर्तन का कार्य करते हैं। परमात्मा की महिमा अनंत है। वे अजोनी हैं अकाल मूरत है अर्थात वे किसी योनि में नहीं आते, काल उन्हें खा नहीं सकता वे सर्व गुणों में सागर हैं। उनकी महिमा अपरंपार है।

आगे उन्होंने बताया कि परमात्मा को हम सत्यम, शिवम और सुंदरम कहते हैं परंतु हम सत्यता से दूर हो गए हैं क्योंकि हम सभी मनुष्य आत्माएं विकारों से काली हो चुकी हैं। परमात्मा का स्वरूप प्रकाश या ज्योति की तरह है जिसकी हम ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा करते हैं वे सदाशिव कल्याणकारी हैं व मुक्ति जीवनमुक्ति के दाता हैं।

 

*ब्रम्हाकुमारी नीता बहन* ने भारत के उत्थान और पतन के 84 जन्मों की अद्भुत कहानी बताते हुए कहा कि कैसे सृष्टि की स्थापना हुई थी एक समय था जब यही भारत भूमि देवभूमि कहलाती थी जहां सर्वगुण, 16 कला संपन्न, संपूर्ण मर्यादा पुरुषोत्तम, डबल अहिंसक देवी देवता निवास करते थे।वह युग सतयुग कहलाता था फिर धीरे-धीरे समय बीतता गया सतयुग से त्रेता, द्वापर, कलयुग और अभी कलयुग के अंत और सतयुग के आरंभ के बीच का समय पुरुषोत्तम संगम युग है। इसी युग में परमात्मा इस धरा पर आकर भारत को जगद्गुरु बनाकर वह आदि सनातन देवी देवता धर्म की स्थापना कर सतयुग की स्थापना करते हैं।

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