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Rajrishi

दुआएं सस्ती नहीं, श्रेष्ठ कर्मों से मिलती है दुआएं…ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

सादर प्रकाशनार्थ

प्रेस विज्ञप्ति

*दुआएं सस्ती नहीं, श्रेष्ठ कर्मों से मिलती है दुआएं…ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*

 

*ब्रह्माकुमारीज़ राज किशोर नगर में मेडिटेशन कैम्प जारी*

राज किशोर नगर :- खुशी बाहरी नहीं बल्कि आत्मा का ओरिजिनल गुण है। बचपन से हम अनेक वस्तु, व्यक्ति और बड़े होते-होते वैभवों की प्राप्ति पर खुषी की अपेक्षा रखते हैं लेकिन यह देखने में आता है कि वह वस्तु मिलने पर अल्पकाल के लिए खुश होकर हम दूसरी चीजें पाने के लिए ख़ुशी गुम कर देते हैं क्योंकि वास्तविक खुशी तो हमारे अंदर है, हमारे विचारों, दृष्टिकोण और श्रेष्ठ व सत् कर्मों में है। कर्मों की श्रेष्ठता आत्मा के साथ तन को भी सुखी बनाती है।

उक्त बातें राज किशोर नगर में चल रहे सात दिवसीय राजयोग मेडिटेशन कैम्प के दौरान ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। आपने बतलाया कि दुआएं हमें विषम परिस्थितियों में सहयोग देती हैं। दुआएं सस्ती नहीं जो धन से खरीदी जा सके। दुआ कमाने के लिए त्याग, प्रेम, ईमानदारी, सत्यता जैसे गुणों की आवश्यकता होती है। यह सहन, समाने व नम्रता के गुण से और स्वार्थ भाव से मुक्त रहकर कमायी जा सकती है। यह ऐसी कमाई है जो एक जन्म नहीं, जन्म-जन्मांतर हमारे साथ रहती है।

 

*संस्कार परिवर्तन के लिए दृढ़ता के संस्कार को करें जागृत….ब्रह्माकुमारी गायत्री*

राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी गायत्री बहन ने सभी को क्रिएटिव मेडिटेषन कॉमेन्ट्री के द्वारा आत्म-अनुभूति कराई। आपने सेल्फ रियलाइजेषन विषय पर प्रकाष डालते हुए आत्मा के संस्कारों के बारे में बताया कि जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कार हमारे शरीर के लिए किये जाते हैं। लेकिन आत्मा के पांच प्रकार के संस्कार होते हैं। पहला अनादि-आदि ओरिजिनल संस्कार जो हमारे मूल संस्कार हैं और सुख, शांति, आनंद, प्रेम, ज्ञान, शक्ति, पवित्रता के स्वरूप में आत्मा में विद्यमान होते हैं। जिस प्रकार पानी का मूल गुण शीतलता है। हम पानी को गर्म करके यदि छोड़ देते हैं तो वह स्वतः ही शीतल हो जाता है। उसी प्र्रकार क्रोध या अषांति नहीं बल्कि शांति व प्रेम हमारा असली संस्कार है। दूसरा पूर्व जन्म के संस्कार, तीसरा माता-पिता द्वारा मिले हुए खानदानी संस्कार व चौथा वातावरण द्वारा निर्मित संस्कार जिसे संग का रंग भी कहा जाता है। *सबसे अंतिम है अपने विल पॉवर द्वारा निर्मित दृढ़ता के संस्कार। यही संस्कार परिवर्तन का आधार है। दृढ़ता की शक्ति को जागृत करने के लिए सकारात्मक चिंतन व मेडिटेशन का अभ्यास मदद करता है।*

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