एक परमात्मा, एक विश्व परिवार देश का चिंतन: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
– वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया संबोधित
– ब्रह्माकुमारी संस्था के 80 वर्ष पूर्व होने पर दी शुभकामनाएं
– रशियन कलाकारों ने बांधा समां

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माउण्ट आबू/आबूरोड (राजस्थान)। विश्व एक परिवार है। हम सब एक पिता की संतान हैं। सत्य एक है अलग-अलग लोग उसे अलग-अलग रूप में कहते हैं। हमारे देश की खासियत है कि हम अपने विचारों को किसी पर थोपते नहीं हैं। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के संस्थापक दादा लेखराजजी की आत्मा को आज जरूरी शांति मिली होगी कि जिस विचार को उन्होंने संस्थागत रूप दिया और स्त्री शक्ति के माध्यम से उसे आगे बढ़ाया, उस आंदोलन को आज ८० वर्ष हो रहे हैं। हमारे देश में 80 वर्ष का एक विशेष महत्व माना जाता है। दुनिया में 25-75 साल तो मनाए जाते हैं। मगर भारत में 80 साल का विशेष महत्व है।
उक्त उद्गार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए व्यक्त किए। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के 80 वर्ष पूर्ण होने पर ‘विश्व परिवर्तन के लिए परमात्म ज्ञान’ विषय पर आबू रोड के शांतिवन परिसर में इंटरनरेशनल कॉन्फ्रेंस कम कल्चरल फेस्टिवल आयोजित किया जा रहा है। पीएम मोदी ने कॉन्फेंस को रविवार शाम 6 बजे संबोधित किया।
वीडियो कॉन्फे्रेंसिंग के दौरान मोदी ने सबका हाथ हिलाकर अभिवादन किया। ओम शांति के साथ संबोधित करते हुए उन्होंने संस्था की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी जानकीजी, राजयोगिनी दादी हृदयमोहिनी जी सहित संस्थान के सभी सदस्यों को धन्यवाद दिया।
80 साल का मतलब सहस्त्र चंद्रदर्शन
पीएम मोदी ने कहा कि 80 साल का मतलब सहस्र चंद्रदर्शन का पर्व होता है। व्यक्ति या संस्थान ने एक हजार बार पूर्ण चंद्र के दर्शन किए होते हैं। आज यह संस्थान और आंदोलन विश्व की पूरी मानव जाति को संबल का उनका प्रयास है। मैं दादी को सादर प्रणाम करता हूं। एक उच्च विचार के साथ संस्थान के जीवन में 80 साल कम समय नहीं होता है। आज विश्व की जो स्थिति है, मानव का जो स्वभाव बनता जा रहा है, उसमें कोई भी संस्थान में दस बीस साल बाद बिखराव शुरू हो जाते हैं।
80 साल बाद भी आज भी वही मूल्य
दादा की संस्थान 80 साल से आदर्शों व मूल्यों को लेकर आंदोलन को चला रही है। नारी शक्ति को प्रधानता देते हुए आज भी उतनी ही कर्मठता, एकरूपता के साथ विश्वभर में अपना संदेश दे रहे हैं लाखों कार्यकर्ताओं की शृंखला तैयार की है।
ज्ञान को पासपोर्ट की जरूरत नहीं होती: पीएम
ब्रह्माकुमार-ब्रह्माकुमारी भाई-बहनें आज भारत के आध्यात्म के संदेश को विश्व में पहुंचा रहे हैं। मैंने भी संस्था के चिंतन को समझने का प्रयास किया, अच्छा सान्निध्य मिला। उन्होंने कहा कि हम ऐसे देश के प्रतिनधि हैं जो कभी भी अपने विचारों को खोने में विश्वास नहीं करते हैं। ज्ञान की न तो कोई सीमाएं होती हैं, न ही समय के बंधन। ज्ञान को न पासपोर्ट की जरूरत होती है, न वीजा की। ज्ञान तो युगों-युगों की मानव संपदा होती है, वो कालातीत होती है, नित नूतन होती है।
डंके की चोट पर कह सकता हूं, ईश्वर एक है: मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि यही देश है जिसने विश्व को डंके की चोट पर कहा है कि ईश्वर एक है। शास्त्रों ने बताया कि सत्य एक है अलग-अलग लोग उसे अलग-अलग रूप में कहते हैं।
30 हजार लोगों का खाना सोलर एनर्जी से
उन्होंने संस्था द्वारा शांतिवन में लगाए गए सोलार पॉवर प्रोजेक्ट की सराहना करते हुए इसे प्रकृति संरक्षण के लिए एक बहुत ही सराहनीय कदम बताया। साथ ही सभी संस्था के भाई-बहनों से आह्नान किया कि आप सभी भी अपने घरों में एलईडी लाइट लगाकर बिजली बचाने में अपना योगदान दें। आबू जैसे स्थान पर तीन मेगावाट की सोलर एनर्जी का यह प्रयास बहुत ही प्रेरक है। यहां 30 हजार लोगों के भोजन बनाने का काम सोलर एनर्जी से किया जाता है। संस्था बहुत बड़ा बदलाव लाने का प्रयास कर रही है। यहां सिर्फ आध्यात्मिक बातें नहीं, बल्कि गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन में बदलाव लाने का प्रयास किया जा रहा है। एक ईश्वर, एक विश्व परिवार मूल रूप से वसुधैव कुटुम्बकम है। इतना विशाल, व्यापक व चिरंतन विचार इसी धरती पर पैदा हुआ। समय-समय पर अभिव्यक् ि अलग हो गई। भारत विश्व में न्याय, गरिमा के लिए जाना जाने लगा है।
2022 तक ब्रह्माकुमार व कुमारियों के माध्यम से ऊर्जा बचाने का संकल्प लें। सभी अपने मोबाइल फोन पर भीम एक डाउनलोड कर नकद से डिजिटल के लिए प्रयास करें।
नौवीं से ग्यारहवीं तक के बच्चे पोषण के संबंध में शिक्षित होंगे तो टीचर पर उनका गहरा प्रभाव होगा। 2022 एक संकल्प लेने के लिए आपको निमंत्रित करता हूं। मातृशक्ति को कैसे मदद मिले, उस पर हमारा जोर है। ब्रह्माकुमारी का इसमें बहुत बड़ा योगदान है। मैं आग्रह करूंगा कि आप भी सक्रियता से कार्य करें तो बहुत बड़ा परिणाम, सकारात्मक बदलाव हमारे सामने होगा।
ऑनलाइन कोर्स शुरू करने का आह्नान किया
पीएम मोदी ने इस दौरान संस्था के पदाधिकारियों से ऑनलाइन मूल्य एवं आध्यात्मिक कोर्स शुरू करने का आह्नान किया। जिसमें देशभर में ऑनलाइन सटिर्फिकेट, डिग्री कोर्स कराकर एग्जाम कराएं। इसमें भारत की सभी यूनिवर्सिटी का पूरा सहयोग रहेगा। ये मैं आपको विश्वास दिलाता हूं।
संस्था के महासचिव निर्वेर भाई ने कहा अगर भारत के सभी स्कूलों में योग शिक्षा शुरू हो जाए तो भारत फिर से विश्व गुरू बन जाएगा। हमें पूरी उम्मीद है कि अगर आध्यात्मिकता को और अधिक ऑफिशियल रूप से भारत के विश्वविद्यालयों में लागू किया जाएगा तो हर व्यक्ति सोल कॉन्शस बन जाएगा। इस दौरान दादी जानकी ने पीएम मोदी को माउंट आबू आने का निमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि नरेन्द्र भाई पूरे विश्व को प्रेम, खुशी शक्ति ऐसी दे उसकी बधाइयां।
रशियन कलाकारों ने आगाज को बनाया यादगार
उद्घाटन समारोह में रूस के कलाकारों ने ‘डिवाइन लाइट’ नृत्य पेश कर समां बांध दिया। कलाकारों की आकर्षक प्रस्तुति देख डायमंड हॉल परिसर तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। इस दौरान सभी कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से शांति का संदेश दिया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ बैंच के वरिष्ठ न्यायाधीश शहीबुल हसनैन ने कहा कि मुकम करोती वाचालम, पंगुम लगयते गिरिमं…श्लोक सुनाते हुए आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह ई्रश्वर की कृपा होत है जब कोई किसी को अपने घर बुलाता है। आप आए हैं, यह इस बात का प्रमाण है कि ईश्वर आपको अपने नजदीक पाता है व उन्होंने यह भावना दी है कि जो भी उनका निर्देश है वो आप समाज की बेहतरी के लिए काम में लेते हुए दृढं संकल्प को पूरा करें। ्रआयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि इसे मूर्त रूप देना, एकमंच के नीचे एकत्रित करना बहुत बड़ा काम है।
जब बाबा ने संस्थान की परिकल्पना की होगी, तो उन्होंने नारी शक्ति का ही आह्वान क्यों किया, यह विचार मन में आया। मुझे लगता है कि जितना बड़ा मिशन है वहां अनुशासनर के साथ दया भी हो, जहां प्रतिबद्धता के साथ ममाता, करूणा भी हो। इसलिए उन्होंने नारी शक्ति का आह्वान किया। छोटी सी ओम मंडली से शुरू हुआ मिशन आज बहुत बड़ा हो गया है। जहां पर नारी का सम्मान होता है वहां पर देवताओं का वास होता है, यह मैंने सुना था मगर यकीनन यहां पर आकर देखा कि यहां देवता वास कर रहे हैं जिसके कारण सबको सकारात्मक ऊर्जा मिल रही। इस कार्यक्रम को बीके मृत्युंजय समेत कई लोगों ने सम्बोधित किया।