प्रेस-विज्ञप्ति
माता-पिता की सेवा का अवसर ढ़ूंढ़ें – मंजू दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में आयोजित 12 दिवसीय बाल संस्कार षिविर में आज मनाया गया मातृ दिवस
‘‘बचपन में हमारी मां हमें कई दिनों तक अपने हाथों से खाना खिलाती हैं। हमें भी उन्हें खिलाने का या उनकी मदद करने का अवसर अवष्य ढ़ूंढ़ना चाहिये चाहे वो बर्थडे हो, मदर्स डे हो या वूमन्स डे या । और विषेषकर उस समय तो जरूर खिलायें जब उनमें आसक्ति आ जाती है साथ ही उनका ध्यान रखना चाहिये। इसी उद्देष्य को लेकर सेवाकेन्द्र प्रभारी मंजू दीदी ने बाल संस्कार षिविर में मातृ दिवस मनाने का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि यदि अपने माता-पिता को कभी-भी दुख नहीं देना जितना हो सके सुख देना है। यदि दुख देंगे तो दुख हमारे जीवन में कई गुना बढ़कर आयेगा।’’
अनुपम दृष्य देखकर सभी के नैन हुए नम-
बच्चों ने अपनी मां को तिलक लगाया, फूल दिये और मीठा खिलाया। इस पर उपस्थित सभी मां भावविभोर हो गये और उनके नैन भी गीले हो गये। यह दृष्य बहुत ही सुंदर लग रहा था। साथ ही सेवाकेन्द्र की बहनों ने भी अपनी मातृस्वरूप दीदी मंजू दीदी को भी फूल भेंट किये और मीठा खिलाया।
मां शब्द को परिभाषित करना- ये कितना सुंदर ऐहसास है।
भ्राता प्रषांत बुधिया ने मां पर एक कविता प्रस्तुत किया जिसे उन्होंने परमात्मा को अपनी परम मां मानकर उनकी यादों में अपनी मां के लिए दो साल पूर्व लिखा था। क्या कभी इस जग में कोई मां को परिभाषित कर पायेगा, वो तो जैसे शब्द सागर में, किसी कण की भांति खो जायेगा, फिर भी कोषिष करता हर कोई, मैंने भी किया प्रयास है, मां शब्द को परिभाषित करना- ये कितना सुंदर ऐहसास है। हम उड़ते पंछी तो मां आकाष है, जीवन तपस्या है तो मां कैलाष है, अंधकार से घिरते हम तो मां सूर्य का प्रकाष हैं, जब कोई उलझन हो तो मां हर मुष्किल का जवाब हैं।
बच्चों की मां ने साझा किये अनुभव
संस्कारों की षिक्षा ले रहे बच्चों की माताओं ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि बच्चों में परिवर्तन देखकर बहुत ही अच्छी फीलिंग आ रही है। बच्चे हमारे पैर छूकर घर से निकलते हैं, मोबाइल पर अनावष्यक समय गंवाने से या कहें एडिक्षन से छूट रहे हैं, कहना मान रहे हैं। उन्होंने आयोजन की तारीफ करते हुए कहा कि इतने सारे बच्चों को संस्कारों की षिक्षा देना बहुत पुण्य का कार्य है। ऐसे आयोजन सालभर तो नहीं किये जा सकते लेकिन कम से कम सप्ताह में एक दिन रविवार को बच्चों के लिए क्लास रखने का आग्रह किया और मंजू दीदी ने इसे सहर्ष स्वीकार किया। उन्होंने यह भी कहा कि एक विवाहित स्त्री के लिए सबसे सुंदर अनुभूति है मां बनना।
नन्हें बच्चों ने दी सांस्कृतिक प्रस्तुतियांः-
इस अवसर पर एन्जिल ग्रुप के नन्हें बच्चों ने मां पर आधारित गीतों पर प्रस्तुतियां भी दी। टिकरापारा की पूर्व पार्षद राखी घोष की बेटी अनुष्का घोष ने यूं तो मैं घबराता नहीं, पर अंधेरे से डरता हूं मैं मां… गीत पर एवं ओम माखीजा ने ओ मां, मेरी मां, प्यारी मां, मम्मा….गीत पर नृत्य किया। सेवाकेन्द्र के भावेष भाई ने तेरी उंगली पकड़ के चला, ममता के आंचल में पला….गीत पर एवं गौरी बहन ने भी तुम बसी हो कण-कण अंदर मां…गीत पर सभी के समक्ष नृत्य प्रस्तुत किया।