Brahma Kumaris Raj Kishore Nagar

सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
क्रोधमुक्ति के लिए सहन व समाने की शक्ति आवश्यक – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
भगवान ने अष्ट शक्तियों की प्राप्ति के लिए सिखलाया राजयोग
रविवार विशेष परमात्म महावाक्यों में क्रोधमुक्त होने का व्रत लेने की प्रेरणा दी गई
बिलासपुर टिकरापारा :-
आंतरिक स्वच्छता की परिभाषा बहुत गहरी है। पवित्रता सिर्फ सिर्फ ब्रह्मचर्य ही नहीं अपितु आहार, व्यवहार, संसार और संस्कार सभी में शुद्धता व मन वाणी और कर्म भी क्रोध से मुक्त हो क्योंकि क्रोध के पीछे लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा रूपी उसका परिवार भी है।
उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेंद्र में आज रविवार विशेष सत्संग के दौरान परमात्म महावाक्य सुनाते हुए ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कही।
दीदी ने बतलाया कि दैनिक जीवन में क्रोध से बचने के लिए सहन करने व समाने की शक्ति की जरूरत होती है। भगवान ने गीता में जो राजयोग सिखाया है उसके नियमित अभ्यास से क्रोध पर काफ़ी हद तक विजय प्राप्त की जा सकती है क्योंकि राजयोग ध्यान से सहन, समाने, परखने, निर्णय करने आदि अष्टशक्तियों का विकास होता है।
साथ ही आज के सत्संग में दुख न लेने पर भी विशेष जोर दिया गया क्योंकि सत्संगी व्यक्ति दुख देता तो नहीं है लेकिन किसी की बातों से, बुरे व्यवहार से दुख ले लेता है और मन में व्यर्थ विचार चलने लगते हैं। ये व्यर्थ और नकारात्मक सोच भी अशुद्धि है। दृढ़ संकल्प की हिम्मत, प्रतिदिन सत्संग और राजयोग द्वारा इन सबको बदला जा सकता है।