ज्ञानसूर्य परमात्मा के संग से बढ़ती है आध्यात्मिक चमक – ब्र.कु. मंजू दीदी
रविवार विशेष सकारात्मक चिंतन की क्लास
‘‘यह संसार एक रंगमंच है जिसमें ज्ञान सूर्य परमात्मा का प्रकाश फैला हुआ है और यहां का हर एक सकारात्मक व्यक्ति चमकता हुआ सितारा है। जिनका कर्तव्य है स्वयं आगे बढ़ना व दूसरों को आगे बढ़ाना। क्योंकि कहते भी हैं ना कि चढ़ती कला तेरे भाने सर्व का भला। ऐसे ही जब हम दूसरों को आगे बढ़ाते हैं तो स्वयं भी स्वतः आगे बढ़ जाते हैं। यदि हम व्यर्थ बातों में समय गंवाते हैं तो हम समर्थ नहीं बन सकते क्योंकि व्यर्थ एक लीकेज की तरह है जो हमें भरपूर बनने नहीं देगा। ऐसा कीर्तन न करें कि मेरे अंदर अवगुण ही अवगुण है। ऐसा करना परमात्मा की इन्सल्ट है क्योंकि परमात्मा गुणों के सागर हैं हैं और हम उनकी संतान हैं। गुणों के सागर के बच्चों को अवगुणी कहना तो पाप के समान है ना। और ऐसा भी न हो कि हममें जो विशेषताएं व गुण हैं उसका अभिमान आ जाये। विशेषताएं व गुण तो प्रभु प्रसाद हैं, उन्हें मेरा मानना ही अभिमान है।’’
उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने सकारात्मक समूह के साधकों के आयोजित रविवारीय स्पेशल क्लास में कही। आपने आगे कहा कि तकदीर बनाने का आधार हमारे श्रेष्ठ कर्म हैं और श्रेष्ठ कर्म वह हैं जो परमात्मा की याद में किये जायें। क्योंकि परमात्मा की याद जहां है वहां गलत कर्म हो ही नहीं सकते। कहते भी हैं हथ कारडे और दिल यार डे अर्थात् हाथों से कर्म करते करते रहो और दिल में परमात्मा की याद बनी रहे।
पिछले 34 वर्षों से राजयोग का अभ्यास कर रही बहन ममता सगदेव ने एवं ब्रह्माकुमार अमर भाई ने स्वयं व दूसरों की विशेषताओं को देखने से हुए फायदों के सुखद अनुभव साझा किये।