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Rajrishi

रंगोली है संस्कार मिलन का प्रतीक, सतोगुणी रंगों से भरें जीवन के रंग – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

प्रेस-विज्ञप्ति

रंगोली है संस्कार मिलन का प्रतीक
सतोगुणी रंगों से भरें जीवन के रंग – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में बनाई गई आकर्षक रंगोली

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‘‘जब हम रंगोली बनाते हैं तो सोचते हैं कि यह अधिक से अधिक आकर्षक, रचनात्मक, कलात्मक या मनमोहक बने। जबकि हमें मालूम होता है कि यह दो-तीन दिनों में मिटने वाली है। फिर भी हम अच्छे से अच्छा बनाने की कोषिष करते हैं। मनुष्य का जीवन भी कुछ रंगोली की तरह ही है, हमें पता है कि जिन्दगी एक दिन खत्म हो जायेगी फिर भी उसे खूबसूरत बनाने का अभ्यास करते रहना चाहिये। हम क्रोध, ईर्ष्या, घृणा, द्वेष की भावनाओं में आते हैं किन्तु हम हर समय इसी भाव में नहीं रह सकते, हमें सुख, शांति, प्रेम, पवित्रता, आनंद, ज्ञान और शक्ति रूपी आत्मा के सात गुण अपनी ओर आकर्षित करते ही हैं। क्रोध आदि विकारों से हमारी ऊर्जा नष्ट होती है और आत्मा के मौलिक गुणों को धारण करने से ऊर्जा बढ़ती है। तो क्यों न हम इन्हीं सात गुणों रूपी रंगों से अपने जीवन को सुंदर रंगोली बना लें।’’
उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में साधकों को संबोधित करते हुए सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने कही। उन्होंने बताया कि रंगोली संस्कार मिलन का प्रतीक भी है। रंगोली में भिन्न-2 रंग जब संतुलित रूप से आपस में एक साथ मिलते हैं तो रंगोली आकर्षक बन जाती है, दर्षनीयमूर्त बन जाती है। उसी प्रकार जब हम भी परिवार, समाज में संस्कार मिलन करके रहेंगे तब हमारा जीवन भी दर्षनीयमूर्त बन जायेंगे।
टिकरापारा सेवाकेन्द्र में ब्रह्माकुमारी बहनों ने एवं भाईयों ने मिलकर बहुत ही सुंदर श्री लक्ष्मी और श्री नारायण की रंगोली बनाई गई। घनष्याम भाई, बीनू भाई ने इस रंगोली की ड्राइंग की।

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