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श्रेष्ठ संग से बनता है जीवन श्रेष्ठ – ब्रह्माकुमारी गायत्री

श्रेष्ठ संग से बनता है जीवन श्रेष्ठ – ब्रह्माकुमारी गायत्री
प्रतिदिन सत्संग से घर बन जाएगा गृहस्थ आश्रम…
सत्य पिता परमात्मा का संग करना ही सतसंग है…
कोटमीसुनार : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा कोटमीसुनार स्थिति पाठशाला में आयोजित आध्यात्मिक कार्यक्रम में सभी ग्राम वासियों को संबोधित करते हुए *ब्रह्मा कुमारी गायत्री बहन ने कहा कि जीवन में सत्संग का बहुत महत्व है सत्संग हमें अनेक बुराइयों से बचाता है श्रेष्ठ संग की ओर ले जाता है यहां पर यह अनोखा विद्यालय है जहां युवा बच्चे बुजुर्ग सभी वर्ग के लोग इस पढ़ाई को पढ़ सकते हैं। इसके लिए कोई घर गृहस्थ का त्याग नहीं करना है । सिर्फ हमारे अंदर जो किसी के प्रति ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, नफरत है, उस अशुद्धता को छोड़ना है।* और अपने ही घर परिवार में रहते हुए उसे सात्विक बनाना है तब ही गृहस्थ आश्रम कहलायेगा। हम सभी अपने परिवार वालों की खुशहाली के लिए ही व्रत, उपवास, भजन-कीर्तन करते हैं। इस पढ़ाई से ज्ञानयुक्त भावना के आधार पर हम परमात्मा शिव पर अपनी बुराइयों को अर्पित करते हैं।
आत्मा चेतन सत्ता है, उसमें 7 गुण होते हैं, आत्मा होती है तब हम इस शरीर द्वारा कोई भी कार्य कर सकते हैं, आत्मा के ना होने पर हमारा यह शरीर मर जाता है। आत्मा इस शरीर रूपी गाड़ी को चलाती है।
*ब्रह्मा कुमारी ममता बहन* ने बताया कि परमपिता परमात्मा को इस धरा पर आए हुए 86 वर्ष हो गए हैं, और अब उनके जाने का समय हो रहा है, तो यहां-वहां भटकने से अच्छा उस भगवान का ध्यान कर, इस थोड़े से समय में जीवन को श्रेष्ठ बना लें। फिर अंत समय ये ना कहना कि भगवान आया और चला गया आपने हमें बताया नहीं, परिचय नहीं दिया।
*ब्रह्माकुमारी निष्ठा बहन* ने कहा कि, माताएं बहने शाम के समय अपने घरों के बाहर चबूतरे में बैठकर इधर उधर की बातें ना कर, यहां सत्संग में आकर अपने समय को सफल कर ले, 24 घंटे तो उसी घर परिवार वालों के बीच में ही रहना है, तो क्यों ना जीवन का एक घंटा सत्संग के लिए निकालें, इस एक घंटे से वह 23 घंटा भी सुधर कर श्रेष्ठ बन जाएगा।
अंत में *ब्रह्माकुमारी ईश्वरी बहन* ने सभी को अंतर जगत की यात्रा द्वारा ध्यान का अभ्यास कराया और सात दिवसीय शिविर के लिए सभी को संगठित होने के लिए कहा। कार्यक्रम के अंत में ध्वजारोहण किया गया, जिसमें ग्राम के सभी वरिष्ठ जन उपस्थित थे। रामकुमार साहू जी, रवि साहू जी, कृषि अधिकारी सुरेश जी, वरिष्ठ शिक्षक टीका राम केवर्त जी के सहयोग से यह पूरा कार्यक्रम सफल हुआ!