Rajrishi
भगवान के प्रेम मे घर बार छोड़िये नही बल्कि भगवान को घर का सदस्य बनाइये – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

*भगवान के प्रेम मे घर बार छोड़िये नही बल्कि भगवान को घर का सदस्य बनाइये – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*
*ब्रह्मा कुमारीज राजकिशोर नगर में भागवत गीता का सातवां दिन, सोमवार से गीता के एडवांस व्याख्यानमाला का आयोजन*
बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राज किशोर नगर मे चल रहे श्रीमद् भगवत् गीता व्याख्यान के सातवें दिन कर्म अकर्म विकर्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अजर अमर अविनाशी आत्मा जब शरीर धारण करती है तो निरंतर कर्म करती ही है। सतयुग त्रेतायुग मे श्रेष्ठ कर्मो का प्रालब्ध भोगती है तब कर्म अकर्म होते है।द्वापर युग से पाप और पुण्य कर्म के आधार पर उसी जन्म एवं अगले जन्म का प्रालब्ध निर्माण होता है। कलयुग के अंत मे सृष्टि चक्र के अंतिम जन्म मे परमात्मा योगी आत्माओं को श्रेष्ठ कर्म सिखाते है जिसके आधार पर ही सतयुग त्रेता युग में श्रेष्ठ प्रालब्ध भोगते है । अर्थात वर्तमान ईश्वरीय जन्म ही पूर्व सभी जन्मों के पाप कर्मो से मुक्त होने का समय है और इसका एकमात्र तरीका राजयोग है जिसे परमात्मा स्वयं हम अर्जुनो को सिखा रहे है। दीदी ने कहा कि कर्म फल में परमात्मा कोई हस्तक्षेप नही कर सकते अर्थात श्रेष्ठ कर्म से प्राप्त श्रेष्ठ प्रालब्ध पाने से परमात्मा भी नही रोक सकते।
एक कंपनी के प्रसंग का उल्लेख करते दीदी ने कहा कि एक कंपनी मे उस व्यक्ति का शव ताबूत मे अंतिम दर्शन के लिए रखा था जो कार्यरत कर्मचारियों की सफलता मे बाधक था। लेकिन ताबूत दर्शन के बाद सभी आश्चर्यचकित थे क्योंकि ताबूत मे शव नही दर्पण रखा था। गीता मे भगवान अर्जुन को भारत कहकर संबोधित करते है।
ब्रह्माकुमारी गौरी और प्रीती बहन ने हम करे राष्ट्र आराधन… गीत पर सुन्दर नृत्य प्रस्तुत किया । दीदी ने कहा कि अर्जुन का प्रश्न कि सन्यास और कर्मयोग में क्या श्रेष्ठ है परमात्मा ने कहा राग द्वेष रहित कर्म अर्थात कर्मयोग श्रेष्ठ है।
दीदी ने जानकारी दी कि इंसान तीनों में गीता के छः अध्याय पूरे हुए, इसे पूरे 18 अध्याय तक सम्पन्न करने के लिए सोमवार से गीता के एडवांस व्याख्यामाला का आयोजन किया जा रहा है। इसका समय प्रतिदिन शाम 7 से 8 बजे तक रहेगा…
कार्यक्रम के सातवें दिन की वीडियो लिंक
https://www.youtube.com/live/FRoKSRZ0pbE?feature=share