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Rajrishi

ब्रह्मा भोजन के लिये देवता भी तरसते है: ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*

*ब्रह्मा भोजन के लिये देवता भी तरसते है: ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*

श्रीमदभागवत गीता की सम्पन्नता पर ब्रह्मा भोजन का आयोजन

जैसा अन्न वैसा मन, जैसा पानी वैसी वाणी…

सोमवार से गीता ज्ञान का एडवांस व्याख्यानमाला आयोजित

बिलासपुर – शिव अनुराग भवन राज किशोर नगर मे सात दिवसीय भगवत् गीता व्याख्यान के पश्चात् आयोजित ब्रह्मा भोजन मे उपस्थित सभी जिज्ञासुओ को संबोधित करते हुए दीदी ने कहा कि हमने भगवत् गीता से जाना कि परमात्मा के अवतरण का समय वर्तमान संगमयुग ही है और धर्म शास्त्रों मे वर्णित प्रसंग वर्तमान समय का ही है।

शास्त्रो मे वर्णन है कि ब्रह्मा भोजन के लिये देवता भी तरसते है, तो आप सभी परम सौभाग्यशाली है कि परमात्मा के यथार्थ परिचय के बाद ब्रह्मा भोजन मे पधारे है। दरअसल अन्न का मन के ऊपर गहरा प्रभाव पडता है इसलिए कहा गया है *जैसी पानी वैसी वाणी, जैसा अन्न वैसा मन*। ब्रह्माकुमारीज मे भोजन की शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। पूरा भोजन चाहे हजारों की संख्या के लिये बनाना हो, ब्रह्मचर्य एवं पवित्रता की धारणा मे चलने वाले बहनों भाईयों द्वारा ही बनाया जाता है।

*ख़ुशी, शांति व पवित्र भाव से बनाएं घर में भोजन…*

परमात्मा की याद मे रहकर बने भोजन मे परमात्मा की शक्ति भी भोजन मे भर जाती है जिसकी वर्तमान मे नितांत आवश्यकता है क्योंकि चारो तरफ नकारात्मता से प्रकृति के पांचो तत्व तमोप्रधान स्थिति के हो गए है। ऐसे मे भोजन बनाते मन मे चिडचिडापन, क्रोध, चिंता, भय हो तो भोजन मे प्रभाव आ जाता है और भोजन करने वाले की मनःस्थिति वैसी हो जाती है।इसलिए घर मे भी भोजन हमेशा पवित्र भाव मे रहकर बनानी चाहिए।

टिकरापारा सेवाकेन्द्र स्थापना के निमित्त बनी अपनी लौकिक सरिता माता को याद करते दीदी ने कहा कि आज भी माँ सूक्ष्म रूप मे उपस्थित होकर सेवा की प्रेरणा और शक्ति देती रहती है। आज के ब्रह्मा भोजन के निमित्त बने लौकिक परिवार, शकुंतला बहन- कैलाश भाई, रंजू बहन, सावित्री बहन एवं सभी भाई बहनों के सहयोग से तैयार भोजन को परमात्मा को भोग लगाकर सभी ने स्वीकार किया । गांव व शहर के लगभग हज़ार भाई बहनों ने ब्रह्मा भोजन का महत्व समझा व भोजन ग्रहण किया…

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