Rajrishi
परमात्मा के प्यार के अनुभव से आत्मिक शक्ति जागृत होती है: ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

*परमात्मा के प्यार के अनुभव से आत्मिक शक्ति जागृत होती है: ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*
*जल प्रकृति का अनमोल उपहार है, सदैव धन्यवाद करे*
बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे चल रहे श्रीमद्भगवद्गीता के प्रसंग को आगे बढाते हुए मंजू दीदी ने बतलाया कि सातवें अध्याय मे ज्ञान विज्ञान योग का वर्णन है । जिस प्रकार धारदार कुल्हाड़ी से लकडी काटने से मेहनत समय की बचत होती है उसी प्रकार सच्चे ज्ञान से मनुष्य का जीवन व्यर्थ से मुक्त सहज हो जाता है। परमात्मा को जानने एवं उनके प्यार को अनुभव करने के बाद और कुछ जानने की आवश्यकता नही होती। लेकिन भगवत् गीता के अनुसार सिद्धि के लिये प्रयत्नशील अनेकों मे से कुछ सिद्ध पुरूष ही परमात्मा के सत्य स्वरूप को जान पाते है । उपस्थित जिज्ञासुओ को बधाई देते दीदी ने कहा कि आप उन सौभाग्यशाली मनुष्यों मे शामिल है ।
10 वे श्लोक मे परमात्मा ने अपना परिचय दिया कि मै सभी प्राणियों का आदि बीज हूं, बुद्धिमानो की बुद्धि और तेजस्वियो का तेज हू। अर्थात परमात्मा के गुण मनुष्यों मे हो सकते है पर आत्मा परमात्मा से भिन्न है। परा अर्थात आत्मा अपरा अर्थात शरीर मिलकर ही गुण ज्ञान का प्रर्दशन करते है। आत्मा जब परमात्मा के प्यार मे लीन होती है तो स्वयं के भान से परे हो जाती है इसे ही शास्त्रो मे विलीन कहा। इस अवस्था को प्राप्त करने के लिये शास्त्रो या कर्मकांडों के ज्ञान की आवश्यकता नही है। परमात्मा की शक्तिया जल मे भी निहित है इसलिए जल का उपयोग करते परमात्मा को अवश्य धन्यवाद देना चाहिए । ब्रह्माकुमारीज जल जन अभियान के तहत जल संरक्षण के लिए जन जागरण के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है।