Rajrishi
राजयोग मे अन्य सभी योग प्रक्रियाओं से प्राप्त होने वाले श्रेष्ठ परिणाम शामिल है: ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
*राजयोग मे अन्य सभी योग प्रक्रियाओं से प्राप्त होने वाले श्रेष्ठ परिणाम शामिल है: ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*
राजविद्या राजयोग है सभी योगों का राजा
श्रेष्ठ कर्म करने की शक्ति प्राप्त होती है राजयोग से
बिलासपुर: शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे श्रीमद्भगवद्गीता के नवम् अध्याय पर चिंतन को आगे बढाते दीदी ने कहा कि मुख्य चार प्रकार की योग प्रक्रिया अपनाई जाती है 1)त्राटक इसमे किसी एक बिन्दु अथवा लौ(ज्योति) पर दृष्टि एकाग्र करना 2) श्वास पर ध्यान केन्द्रित करना 3) विचारो को हठपूर्वक रोकना
4) मंत्र उच्चारण – राजयोग मे मन बुद्धि को परमात्मा के यथार्थ रूप मे केंद्रित किया जाता है जिससे आत्मा परमात्मा के बीच संवाद स्थापित होता है, जन्म जन्मान्तर के पापकर्म भस्म होते है और श्रेष्ठ कर्म करने की शक्ति प्राप्त होती है।
भगवत् गीता मे विचारों का दमन नही बल्कि सुमन बनाने का संदेश है।
परमात्मा 9 से 11 वे श्लोक मे कहते है मै कर्म के अधीन नही हू मै जीवों सहित प्रकृति का अध्यक्ष होने के कारण सभी का परिवर्तन करता हूं।
परमात्मा ने 11 वे श्लोक मे स्वयं के अवतरण का वर्णन करते कहा कि मैं बुढे मनुष्य तन का आधार लेता हू किन्तु मूढमति मनुष्य मुझे नही जान पाते।
प्रकृति पुरूष और परमात्मा की शक्ति से सृष्टि का संचालन होति है। परमात्मा कहते है कि मेरे द्वारा दिये ज्ञान से साधारण मनुष्य भी स्वर्ग की प्राप्ति कर सकते है।