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Rajrishi

इंटरनेट की दुनिया हमें सच्चा प्यार नहीं दे सकती – ब्रह्माकुमारी कुंती

प्रेस-विज्ञप्ति
मन के सुरक्षा के लिए आध्यात्मिकता जरूरी – ब्रह्माकुमारी कुंती दीदी
रेलवे लोको पायलट ट्रेनिंग सेंटर उस्लापुर में ‘‘आध्यात्मिकता से जीवन में सुरक्षा’’ विषय पर व्याख्यान का आयोजन
‘‘वर्तमान जीवन का दौर बहुत ही तनावपूर्ण है और उसे ठीक करने के लिए मन व तन के स्वास्थ्य को ठीक रखना आवष्यक है। मन को स्वस्थ रखने के लिए मन को सकारात्मकता की जरूरत है साथ ही मन को बीच-बीच में आराम भी चाहिये जिसे मेडिटेषन कहा जाता है। इसके लिए वक्त निकालना जरूरी है किसी दूसरे के लिए नहीं बल्कि अपने लिए। कई बार हमें दिन में 20 घण्टे कार्य करने पड़ते हैं लेकिन जिस दिन हमें समय मिलता है उस दिन तो मेडिटेषन सेन्टर जाकर मेडिटेषन जरूर सीख सकते हैं। यह योग बहुत ही सरल है, चलते-फिरते हम अपनी मन और बुद्धि को उस पॉवर हाउस परमात्मा में लगा सकते हैं। जब हमारे जीवन में चुनौतियां आती हैं तब मेडिटेषन ही हमारा हेल्प करता है। ’’
उक्त बातें रेलवे लोको पायलट प्रषिक्षण केन्द्र में आध्यात्मिकता के द्वारा सुरक्षा विषय पर प्रषिक्षार्थियों को संबोधित करते हुए मुम्बई से पधारी हुई मलाड मुम्बई सेवाकेन्द्र की प्रभारी ब्रह्माकुमारी कुंती दीदी जी ने कही।
यथार्थ निर्णय के लिए मन की शांति जरूरी – ब्रह्माकुमारी कविता
मुम्बई से ही पधारीं ब्र.कु. कविता बहन ने कहा जब हमारे मन में कभी ये प्रष्न आता है कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों? तब हमारा मन डिस्टर्ब हो जाता है। इसे दूर करने में कर्म फिलासॉफी का ज्ञान हमारी बहुत मदद करता है कि जो हो रहा है वह बिलकुल अच्छा ही हो रहा है और ये पहली बार नहीं हो रहा है ये तो इस सृष्टि रूपी रंगमंच का एक हिस्सा है। इस प्रकार आध्यात्मिक ज्ञान से मन शांत हो जाता है और शांत मन के द्वारा ही हम यथार्थ निर्णय ले सकते हैं।
आत्मा की खबर जानने के लिए मेडिटेषन जरूरी – ब्रह्माकुमारी पारूल
साथ ही ब्र.कु. पारूल बहन ने मेडिटेषन की अनुभूति कराई और कहा कि जिस प्रकार हमें बाहर की खबर जानने के लिए मोबाईल में मात्र एक क्लिक करने की जरूरत होती है उसी प्रकार स्वयं के अंदर की खबर जानने के लिए हमें मेडिटेषन के अभ्यास की जरूरत पड़ती है। जब हम रात में सोने जाते हैं तब अपने से पूछें- कि क्या हम खुष हैं??? आज हम बस जीवन की यात्रा में भाग रहे हैं। हम जीवन के अंदर भले ही कितना भी मेहनत कर लें, कितना भी ऊंचा लक्ष्य प्राप्त कर लें लेकिन यदि कुछ क्षण स्वयं को नहीं दिया तो हम खुष नहीं रह सकते। आज हम इन दो आंखों से सारे जहां को देखते हैं लेकिन स्वयं के अंदर को देखने की आंखें बन्द हैं। मेडिटेषन अंदर की आंखें हैं जो स्वयं की कमजोरियों का एहसास कराता है और विषेषताओं को निखारता है।
इस अवसर पर रेलवे क्षेत्र के सीनियर सेफ्टी ऑफिसर पी.एन. खत्री, ट्रेनिंग सेंटर के प्रिंसीपल……., ब्र.कु. समीक्षा बहन, ब्र.कु. छाया बहन, गौरी बहन एवं बड़ी संख्या में प्रषिक्षार्थीगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन ब्र.कु संगीता बहन ने किया।
टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने जानकारी दी कि आज सीआरपीएफ-भरनी, एनटीपीसी-सीपत, केयर स्कूल-मंगला में टीचर्स स्टाफ के लिए, अपोलो हॉस्पीटल में डॉक्टर्स के लिए एवं टिकरापारा सेवाकेन्द्र में युवाओं के लिए कार्यक्रम का आयोजित है।
प्रेस-विज्ञप्ति
इंटरनेट की दुनिया हमें सच्चा प्यार नहीं दे सकती – ब्रह्माकुमारी कुंती
आध्यात्मिकता ही अंदर की दुनिया को संभाल सकती है- ब्रह्माकुमारी कविता
युवा संस्कार षिविर के दूसरे दिन इंटरनेट से इनरनेट विषय पर डाला गया प्रकाष
‘‘आज का जमाना इंटरनेट का है। इसमें कोई संषय नहीं कि टेक्नोलॉजी लेवल पर हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं, इस दौर में यह आवष्यक भी जरूर है लेकिन यह बात भी विचारणीय है कि इंटरनेट की जाल हमें अपने में संकीर्ण कर हमारे आपसी संबंधों में दूरी भी ला रहा है। हम फेसबुक पर तो मिलते हैं लेकिन फेस टू फेस नहीं मिलते। हम दुनिया से बात करने में बहुत व्यस्त रहते हैं लेकिन खुद से बात करने की हमारी सारी लाईनें व्यस्त हैं और जब तक स्वयं की स्वयं से मुलाकात नहीं होगी तब तक हमारे जीवन में सुख-षान्ति नहीं आ सकती। सुख-षान्ति दुनिया के किसी भी दुकान पर नहीं मिलेगी। इनरनेट आध्यात्मिकता के वे सूत्र हैं जो भीतर की दुनिया को सुंदर बनाती हैं और इसके लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। जब कम उम्र में कोई आध्यात्मिकता को अपनाता है तो अधिकतर यह सुनने को मिलता है कि – यह कोई उम्र है आध्यात्मिकता का???… लेकिन सोचने की बात है कि सुख-षान्ति की अनुभूति करने की कोई उम्र होती है क्या…???’’
उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र में आयोजित युवा संस्कार षिविर के दूसरे दिन इन्टरनेट से इनरनेट विषय पर युवाओं को संबोधित करते हुए मुम्बई से पधारीं ब्र.कु. कविता बहन ने कही। आपने आगे कहा कि मनुष्य ने अपनी मन और बुद्धि की शक्ति मैटर पर लगाया तो तकनीकि के क्षेत्र में इतनी प्राप्तियां कर लीं, अगर यही मानव अपने मन-बुद्धि की शक्ति अपने मनोबल बढ़ाने में लगाये तो जो कार्य वह साधनों से कर रहा है वह अपने मनोबल से कर सकता है। एक दिन आता है जब सब कुछ प्राप्त करने के बाद भी संतुष्टि नहीं मिलती क्योंकि टेक्नोलॉजी इकट्ठी करने से, महल बना लेने से या धन कमा लेने से जीवन नहीं बनेगा बल्कि जीवन बनेगा तो सद्व्यवहार से, ऊंचे विचारों से, सहयोग की भावना से तथा यथार्थ निर्णय लेने से।
इंटरनेट या अन्य साधनों से हटकर परिवार को भी दें कुछ समय –
ब्रह्माकुमारी कुन्ती दीदी ने कहा कि हम सारे दिन में कार्य व्यवहार करके शाम को जब घर लौटते हैं तब वह समय सभी सदस्यों से मिलने का होता है। यदि उस समय भी हम अपना सिर नीचे करके मोबाईल में लगे हुए हैं तो वह सभी के लिए दुखदायी होता है क्योंकि प्यार सभी को चाहिये, चाहे वह छोटे हों या बड़े और प्यार कोई इंटरनेट आदि से नहीं मिलेगा, प्यार हमें घरवालों से मिलेगा और उन्हें हमसे। जो खुषी, प्यार, रिस्पेक्ट और सुकून आपसी मिलन से मिलता है वह हमें इंटरनेट पर नहीं मिल सकता। यदि हम दिनभर केवल इन्हीं साधनों में उलझे रहे तो हमारे रिष्तों में मजबूती नहीं आ सकेगी।
कोई भी आविष्कार साइलेन्स में होता है और शांति की प्राप्ति आध्यात्म से ही होती है, इस प्रकार साइंसय  साइलेन्स की रचना है। परीक्षा के समय भी हमें पढ़ाई के लिए शांति की जरूरत होती है। सफलता का आधार भी शान्ति की शक्ति है। शान्ति की शक्ति से ही चेहरे पर मुस्कुराहट आती है और मुस्कुराहट चेहरे का असली मेकअप है। भारत आध्यात्मिक देष है, गुणों और संस्कारों का देष है। पाष्चात्य सभ्यता को अपनाते-अपनाते अपने देष की संस्कृति व सभ्यता को न भूलें।

 

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