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Rajrishi

आपसी सहयोग से होगी मूल्यों की धारणा- ब्रह्माकुमारी पारूल/अच्छे विचारों को सभी तक पहुंचाने का श्रेष्ठ माध्यम है मीडिया – ब्रह्माकुमारी कुंती दीदी

प्रेस-विज्ञप्ति-1
आपसी सहयोग से होगी मूल्यों की धारणा- ब्रह्माकुमारी पारूल
स्वयं को मूल्यवान समझने से बनेंगे मूल्यवान

ऊंची सोच, युवा की खोज षिविर के तीसरे दिन ‘‘मूल्यों के मूल्य’’ विषय पर दिया गया व्याख्यान

‘‘ दुनिया में जितने भी महान व्यक्ति हुए जिन्हेंने समय प्रति समय विष्व में क्रांति लाया वे पहले से न तो कोई प्रख्यात व्यक्ति थे न ही बहुत धनवान थे, वे तो सिर्फ एक साधारण इंसान थे जिन्होंने मूल्यों को जीवन में स्थान देकर महान बन गये। जैसे महात्मा गांधी सत्य और अहिंसा के मूल्य को अपनाकर, मदर टेरेसा प्रेम और सेवा को जीवन में स्थान देकर, स्वामी विवेकानंद पवित्रता, एकाग्रता व अनुषासन को धारण कर विष्वप्रसिद्ध बन गये। इसी तरह हम भी उन महान व्यक्तियों की श्रेणी में आ सकते हैं आवष्यकता है केवल अपने मूल्यों में दृढ़ रहने की। यदि विष्व परिवर्तन नहीं ला सकते तो कम से कम अपने परिवार में तो मूल्यों की स्थापना जरूर कर सकते हैं। आज की दुनिया में तीन प्रकार के लोग हैं एक हैं जो समय के बाद करने वाले, दूसरे समय के साथ चलने वाले और तीसरे वे हैं जो समय के पूर्व अपनी तैयारी कर लेते हैं। समय के पीछे चलने वालों की उन्नति नहीं हो सकती, समय के साथ चलने वालों की स्थिति टाइट होती है जबकि समय से पूर्व तैयार रहने वाले सदा ही आगे बढ़ते रहते हैं। वर्तमान समय की मांग है कि अनुषासन, सच्चाई, समयबद्धता के मूल्यों को धारण करने के साथ अपनी सोच और कर्म में समानता लाना। ’’
उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र में आयोजित ‘‘ऊंची सोच युवा की खोज’’ युवा संस्कार षिविर  के तीसरे दिन मुम्बई से पधारीं ब्रह्माकुमारी पारूल बहन ने युवाओं को संबोधित करते हुए कही। आपने मूल्य आधारित क्रियाकलाप के द्वारा सभी के सामने सिद्ध किया कि हम जितना सोचते है उससे कहीं ज्यादा कर सकते हैं। हममें कमी ये होती है कि हम सोचते ही नहीं। बिना अपने को वैल्युबल समझे हम वैल्यूबल अर्थात् मूल्यवान नहीं बन सकते। अपने को कोसना बंद करें, अपने बारे में बुरा सोचना भी बंद कर दें, अपना वैल्यू को समझने के लिए शरीर को चलाने वाली शक्ति को और उसमें समाहित मूल्यों को जानना होगा।
आपने बताया कि यदि हमारी जेब में हजारों रूपये हैं और ऐसे ही कई दिनों से रखे हुए हैं लेकिन जब हम  उसे खर्च करते हैं तब ही उसका मूल्य पता चलता है कि उससे क्या-क्या प्राप्ति हो सकती है। उसी प्रकार मूल्य सभी के पास है लेकिन जब हम उसे सामाजिक कार्यों में लगाते हैं, परोपकार में लगाते हैं, स्वयं की उन्नति में लगाते हैं तब स्वतः ही हम मूल्यवान बन जाते हैं।

मूल्यों में स्थिर रहने के लिए प्रयास व आपसी सहयोग की आवष्यकता है

हम चाहें तो अपने मूल्यों में टिके रह सकते हैं लेकिन हम बिना किसी प्रयास के ही मूल्यों को छोड़ देते हैं साथ मूल्यों को अपने जीवन में बनाये रखने के लिए हमें एक दूसरे से सहयोग भी लेना होगा। बिना किसी से सहयोग लिए हम किसी बड़े टास्क को प्राप्त नहीं कर सकते। सहयोग से मुष्किल कार्य का भी हल हो जाता है।

ब्रह्माकुमारियों द्वारा महिलाओं को आगे लाने का कार्य कल्पना से ऊपर – वाणी राव

इस अवसर पर उपस्थित बिलासपुर की पूर्व मेयर वाणी राव ने युवाओं से कहा कि समय का प्रबंधन बहुत ही आवष्यक है बिना लक्ष्य के जीवन निरर्थक है और लक्ष्य ही नहीं तो वैल्यू का क्या उपयोग? मूल्यों को अपनाने के साथ मूल्यों में एडीषन भी करना है। सकारात्मकता की कमी, कन्फ्यूज़न, देह के प्रति आकर्षण लक्ष्य को पीछे छोड़ देती है। ऐसे समय में ब्रह्माकुमारी बहनों का प्रयास कल्पना से ऊपर की बात है कि मूल्य से भरे जीवन जीने वाली महिलाओं का इतना बड़ा संगठन तैयार कर लिया है।

विचारों के आदान-प्रदान से सभी को लाभ होता है – ब्र.कु. कुंती दीदी

ब्र.कु. कुंती दीदी ने आषीर्वचन देते हुए कहा कि जब हम पैसों का एक-दूसरे से लेन-देन करते हैं तो वह उतना ही रहता है किन्तु हम यदि अच्छे विचारों को एक-दूसरे के साथ शेयर करते हैं तब वह लेने और देने वाले, दोनों के पास बढ़ जाती है। उन्होंने युवाओं से कहा कि यहां से ऐसा दृढ़ संकल्प करके जायें कि बुराईयों के पहाड़ को यहां ही छोड़ दें। कोई गलत कर रहा है तो उसे माफ कर दें और ये संकल्प लें कि मुझे गलत नहीं करना है। खराब बातों को सुनने वाले कचरे का डिब्बा न बनें। अपने को ऐसा तराषें, ऐसा पवित्र बनायें जो हीरा बन जायें क्योंकि हीरे को तो पवित्रता रूपी सोने की डिब्बे में रखा जाता है।
भ्राता सम्पादक महोदय,
दैनिक………………………..
बिलासपुर (छ.ग.)

प्रेस-विज्ञप्ति- 2

अच्छे विचारों को सभी तक पहुंचाने का श्रेष्ठ माध्यम है मीडिया – ब्रह्माकुमारी कुंती दीदी

मीडिया को मूल्यनिष्ठ बनाने के लिए प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में पत्रकारों को दिए गए आध्यात्मिक विचार

‘‘मीडिया के हाथ में कलम है जिससे वे जो भी संदेष लोगों तक पहुंचाना चाहें पहुंचा सकते हैं लेकिन वास्तव में भगवान ने मीडिया के हाथ में कलम किसी श्रेष्ठ कला के कारण दिया है वह कला है अच्छी बातें, अच्छी संदेष, जीवन को परिवर्तन लाने वाली बातें, परमात्मा का दिव्य संदेष लोगों तक पहुंचाना। मीडिया का अर्थ है माध्यम। वह कुछ बातों को समाज तक पहुंचाता है और समाज की बातों को लोगों तक पहुंचाता है उसी प्रकार हम परमात्मा के मीडिया हैं। हम परमात्मा की बातों को आप तक पहुंचाते हैं। यदि हम दोनों मीडिया एक साथ होकर ये संकल्प लेंगे तो निष्चित ही दुनिया से बुराई का अंत हो जायेगा। आपसी सहयोग से ही सुखमय संसार बन जायेगा। ये कार्य मीडिया के अलावा कोई नहीं कर सकता है।’’

उक्त बातें बिलासपुर प्रेस क्लब एसोसिएषन में मीडियाकर्मियां को सार्वभौमिक भलाई को बढ़ावा देने के लिए मीडिया में मूल्यों की भूमिका विषय पर संबोधित करते हुए मुम्बई से पधारीं ब्रह्माकुमारी कुंती दीदी जी ने कही। उन्होंने कहा कि यदि भौतिकता के साथ-साथ आध्यात्मिकता को नहीं अपनाया तो जीवन का विकास रूक जायेगा। भौतिकता के साथ कुछ ऐसा करने का लक्ष्य रखें कि हमारे चरित्र की पूजा होने लगे इसके लिए अपने एक श्रेष्ठ चित्र का विज़न बनाना होगा। जैसा चित्र वैसा चरित्र। हमारे घर में यदि देवी-देवताओं का, कृष्ण-राम का चित्र होता है तो उनके गुणों को याद करके मन झुक जाता है और उसी के स्थान पर यदि किसी हीरों-हीरोइन का चित्र हो तो हमारी वृत्ति बदल जाती है, खराब हो जाती है।

माउण्ट आबू में आयोजित नेषनल मीडिया कांॅन्फ्रेन्स में सफलतापूर्वक हिस्सा लेकर बिलासपुर लौटीं टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने कहा कि धरा और गगन को भी बेच देने वाले दुनिया में ऐसे सौदागर बैठे हैं कि यदि कलम के सिपाही अर्थात् मीडिया यदि सो गई अर्थात् अपने मूल्यों को भूल गए तो वतन के सौदागर वतन को ही बेच देंगे। इसलिए मीडियाकर्मियों के जीवन में आध्यात्मिक जागृति का होना अति आवष्यक है। उन्होंने कहा कि किसी से बात करने के लिए फोन की जरूरत होती है, लेकिन परमात्मा से बात करने के लिए मौन की जरूरत होती है, फोन से बात करने पर बिल देना पड़ता है, परमात्मा से बात करने के लिए दिल देना पड़ता है। इसी के साथ दीदी ने सभी पत्रकारों को 15 से 19 सितम्बर तक माउण्ट आबू में होने वाले मीडिया सम्मेलन के लिए ईष्वरीय निमंत्रण दिया।

मन को संवारने, सुधारने की कला है मेडिटेषन – ब्रह्माकुमारी कविता बहन

इस अवसर पर ब्र.कु. कविता बहन ने कहा कि लेखक अपने कलम की संभाल रखते हैं उसी प्रकार मेडिटेटर अपने मन की बड़ी संभाल रखते हैं। मेडिटेषन वो कला है जिससे हम मन को संभालना सीखते हैं। जैसे शब्द अगर आगे-पीछे हों तो अर्थ का अनर्थ हो जाता हैं उसी प्रकार मन का एक भी संकल्प अगर इधर-उधर हो जाये तो व्यक्ति के व्यवहार में बहुत फर्क पड़ जाता है और उसकी प्रतिक्रिया जो सामने से मिलती उसमें भी अंतर आ सकता है। इसी लिए मेडिटेषन वो कला है जिससे हम मन को संवारते, सुधारते, सुमन बनाते हैं।

भ्राता सम्पादक महोदय,

दैनिक………………………..

बिलासपुर (छ.ग.)

 

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