प्रेस-विज्ञप्ति
चिकित्सक हैं भगवान के फरिष्ते – डॉ. शुभदा नील
हॉटल ईस्ट पार्क में स्त्रीरोग विषेषज्ञों के लिए साइंटिफिक सेषन का आयोजन
गर्भवती माताओं को सात्विक आहार, योग, आसन, तनावमुक्त जीवन के लिए मेडिटेषन कराने की दी प्रेरणा
‘‘कहते हैं डॉक्टर इज़ नेक्स्ट टू गॉड। लेकिन उसमें भी गाइनेकोलॉजिस्ट तो भगवान के द्वारा भेजे गए फरिष्ते की तरह हैं जो एक बच्चे में सु-संस्कार, अच्छा स्वास्थ्य, खुषनुमा जीवन और श्रेष्ठ बुद्धि देने के लिए माता को सही दिषा-निर्देष दे सकती हैं। इसके लिए स्वयं के मन का सषक्त होना बहुत जरूरी है। जब स्वयं सषक्त होंगे तब ही हम दूसरों को सषक्त बना सकेंगे। चिकित्सक गर्भवती माताओं को तीन प्रकार के आयामों- संतुलित, सात्विक तथा पोषक आहार, शारीरिक व्यायाम एवं योगासन एवं तनावमुक्त जीवन के लिए राजयोग मेडिटेषन को जीवन में धारण करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। इसका मुख्य प्रभाव यह होगा कि सिज़ेरियन रेट कम होगा, माता की डिलीवरी नॉर्मल होगी तथा होने वाला बच्चा स्वस्थ और संस्कारित होगा।
उक्त बातें हॉटल ईस्ट पार्क में गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर्स के लिए आयोजित साइंटिफिक सेषन को ‘‘बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में गायनेकोलॉजिस्ट्स की भूमिका’’ विषय पर संबोधित करते हुए डिवाइन संस्कार रिसर्च फाउण्डेषन की को-ऑर्डिनेटर डॉ. शुभदा नील ने कही। आपने कहा कि यह जरूरी नहीं कि एक स्वस्थ व्यक्ति सदा खुष रहे लेकिन ये निष्चित है कि सदा खुष रहने वाला सदा स्वस्थ जरूर रहेगा। इसलिए गर्भवती माताओं को शांति की टेक्नीक सिखाना बेहद जरूरी है क्योंकि जब मां का मन शांत होगा, खुष होगा तो इससे बच्चे में वह संस्कार स्वतः जायेगा। और इसी श्रेष्ठ संस्कार से श्रेष्ठ संसार का निर्माण संभव हो सकेगा। प्रेग्नेन्सी के दौरान डॉक्टर की सलाह का बहुत महत्व है क्योंकि हम जैसा सॉफ्टवेयर डेव्हलप करते हैं वैसे ही हार्डवेयर फन्क्षन करता है, जैसा बीज होता है उसी प्रकार का पौधा तैयार होता है और जिस प्रकार का गीत सीडी में भरेंगे वैसा ही गीत हम सुन सकेंगे। इतिहास में अभिमन्यु, षिवाजी, गांधीजी जैसे महापुरूष गर्भसंस्कार के साक्षात् उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि मेडिटेषन माताओं को सीखाने के लिए ब्रह्माकुमारीज़ सेवाकेन्द्र की बहनों से सहयोग लिया जा सकता है वे सभी स्थानों पर निःषुल्क सेवा प्रदान करती हैं।
इस अवसर पर दिल्ली से पधारीं इन्फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ. षिवानी सचदेव गौर ने ‘‘रोल ऑफ माइक्रोन्यूट्रियेन्ट्स इन मैनेजमेन्ट ऑफ इन्फर्टिलिटी’’ विषय पर सभी को संबोधित किया और महिलाओं में बांझपन दूर करने के लिए हुए नए-नए रिसर्चों से डॉक्टर्स को अवगत कराया। कार्यक्रम के अंत में ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी ने सभी को संस्था की ओर से सभी को ईष्वरीय सौगात भेंट की और मेडिटेषन सिखाने की सेवा देने को आष्वस्त किया।
इस अवसर पर बिलासपुर ऑब्स्टेट्रिक्स एण्ड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी की अध्यक्षा डॉ. संगीता जोगी, सचिव-डॉ. कविता बब्बर सहित शहर की मुख्य गायनेकोलॉजिस्ट चिकित्सक उपस्थित थे।
उक्त जानकारी सेवाकेन्द्र की सदस्य बहन श्रीमति उषा साहू ने दी।
भ्राता सम्पादक महोदय,
दैनिक………………………..
बिलासपुर (छ.ग.)