Connect with us
 

Rajrishi

परम सतगुरू का सम्मान ही सबसे बड़ा सम्मान- ब्र.कु. मंजू दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में मनाया गया गुरू पूर्णिमा का पर्व

‘‘आज कितना भी बड़े से बड़ा प्राइम मिनीस्टर हो, राष्ट्रपति हो गुरू के आगे नमन करंेगे तो वह नमन व्यक्ति को नही कर रहे हैं वे पोस्ट पोजिषन में बड़े हैं लेकिन गुरूओं की पवित्रता को नमन हो रहा हैं। आत्माओं की पवित्रता तो सतयुग से चली आ रही है। देव आत्माओं की पवित्रता सबसे बड़ी पवित्रता है और जब देवताएं वाम मार्ग में गिरे तो सन्यासियो की पवित्रता सबसे बड़ी पवित्रता हो गयी। हम आत्माओ के अंदर द्वापर युग से ही गुरूओं के प्रति सम्मान चला आ रहा है। दुनिया में श्ी गुरूओं का बहुत सम्मान है इसलिए कहते हैं ’’गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः। गुरूःसाक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरूवे नमः।।
उक्त कथन गुरूपूर्णिमा के पावन पर्व पर ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा की प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने रविवार के दिन सेवाकेन्द्र पर कहे। परमसत्गुरू परमपिता परमात्मा जो पिताओं के पिता, शिक्षकों के शिक्षक और गुरूआंे के गुरू हैं वे इस धरा पर अवतरित होकर ज्ञान और योग से आत्माओं का श्रृंगार कर रहे हैं। आपने अपने जीवन में गुरूओं के सानिध्य के अनुभव सबके समक्ष बांटते हुए कहा कि मां तो प्रथम गुरू हैं ही जिनके माध्यम से स्वामी सत्यानंद सरस्वती जी मिले जिनसे अनेक यौगिक क्रियाओं व आसनों की शिक्षा मिली, महर्षि महेश योगी जी से भावातीत ध्यान सीखा एवं पूरे छ.ग. में ध्यान का डंका बजाने का वरदान प्राप्त हुआ, फिर योगऋषि स्वामी रामदेव जी से प्राणायाम की शिक्षा ग्रहण की एवं ब्रह्माकुमारीज़ में परमसत्गुरू स्वयं परमपिता परमात्मा मिले जिनसे रोज सवेरे वरदानों की प्राप्ति होती है। आपने विशेष बात कही कि यह निश्चय रखें कि सद्गुरू परमात्मा तो एक ही हैं लेकिन खुले विचार रखकर जिनसे भी अच्छी बातें सीखने को मिले, सीख लेना चाहिये।
टिकरापारा सेवाकेन्दª में पिछले 15 वर्षो से गुरू पूर्णिमा का उत्सव मनाया जा रहा है। इसके पीछे रहस्य यह है कि सतगुरू परमात्मा का दिव्य-संदेश जन-जन तक पहुंचा सकें। साथ ही दीदीजी ने प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में बताते हुए कहा कि खान-पान, रहन-सहन, दिनचर्या एवं रात्रिचर्या को प्रकृति के अनुकूल करने मात्र से ही शारीरिक स्वास्थ्य सहज रूप से प्राप्त किया जा सकता है। प्रकृति के द्वारा शारीरिक चिकित्सा जिसमे आसन प्राणायाम करने उपवास करने एवं फलाहार को भी दैनिक जीवन में अपनाने से भीे फायदे होते हैं। व अधिक नमक, मसाला, तेल, कृत्रिम फूड, पाॅलिस्ड चावल लेने से एवं सामान्यतः बार-बार भोजन करने से शरीर में बीमारियाॅं घर कर लेती हैं एवं अधिक नमक खानें की आदत को अन्य व्यसनों के समान ही हानिकर बताते हुए कहा कि यह मोटापा, ब्लड-प्रेशर एवं मधुमेह जैसे रोगों के मुख्य कारणों में से एक है।
सभा में उपस्थित बड़ी संख्या में साधकगण एवं अन्य गणमान्य नागरिक भी उक्त विचारों से प्रेरित एवं लाभान्वित हुए। अंत में सभी को गुरू पूर्णिमा का भोग वितरित किया गया।

Continue Reading
Advertisement