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अलौकिक चैतन्य फूलों का बगीचा – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
अलौकिक चैतन्य फूलों का बगीचा – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
श्रावण मास के दूसरे सोमवार के दिन टिकरापारा सेवाकेन्द्र में स्थापित शिव मंदिर में विधिवत् 108 परिक्रमा लगाया गया
‘‘पर्यावरण के ऊपर बहुत ही अलौकिक रुप से कार्य किये जा रहें हैं। लगभग-लगभग 150 से भी अधिक पौधे टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रांगण में लगाये गये हैं और इससे आसपास का वातावरण भी बहुत ही ज्यादा प्रभावशाली हो गया है। मेडिटशन अर्थात् ध्यान जिसे राजयोग भी कहा जाता है इसका प्रभाव इतना अधिक पड़ता है कि जिस प्रकार ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय में कई लोग आकर के अपने को पल्लवित व प्रफुल्लित कर रहे हैं उसी प्रकार पेड़-पौधों को भी उतना ही प्यार दिया जा रहा है ’’
उक्त बातें टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने कही। आगे उन्होने कहा कि ध्यान व सकारात्मक चिंन्तन की क्लास हमेें ऐसा लगता है कि ये पेड़ – पौधे क्या सुन रहे होंगे, लेकिन इसका प्रेक्टिकल प्रभाव ब्रह्माकुमारीज टिकरापारा सेवाकेन्द्र में देखा गया कि पेड़-पौधे भी जब ये सकारात्मक चिंतन व ध्यान के वातावरण के बीच में रहते हैं तो ये पौधे अलग प्रकार की खुशी का अनुभव करते हैं। दीदीजी अपना अनुभव सुनाते हुये कहती हैं कि मुझे पौधों के बीच में ऐसा महसूस होता है कि पाधें मुझसे घर की सदस्यों की तरह बातें करती हैं कि कैसी हो! कैसी हो! और मैं जब बाहर जाती हॅंू तो लगता है िकवे मुझे बहुत प्यार से विदाई दे रही हैं और कहती- जल्दी आना! जल्दी आना! ये बातचीत पेड़-पौधों से उनको अनुभव होता है और उनको बहुत प्यार करती हैंैै।
ब्रह्माकुमारीज टिकरापारा सेवाकेन्द्र मे नारियल, अमरुद, आॅंवला, आम, अंगूर, पान, छुईमुई, पारिजात, शहतूत, मेेंहदी, मोंगरा, कनेर, अशोक, पपीता, गुलाब के कई किस्म, केला, ऐलोवेरा, मंदार, नींबू, पुदीना, चीकू, जमीेंकंद, बरगद, पीपल, तुलसी, सदासुहागन आदि अनेक प्रकार के पेड़-पौधें लगे हुए हैं। ये सब इस भाव से लगाया गया है कि यहां जो आने वाले भाई-बहनें हैं , उनको यदि ऐसी कोई शारिरीक तकलीफ होती है तो तुरंत उसका प्रयोग किया जा सके। जैसे पारिजात जिसे हारश्रृंगार भी कहा जाता है गठिया रोग में प्रभावशाली है। इसकी पांॅच पत्तियां गरम पानी में उबाल कर 15 दिनों तक पीने से पैरों की जकड़न दूर होती है। ऐसे ही अमरुद का पौधे की 5 पत्ती को पानी में उबाल कर गरारा करने से गले संबंधित रोग जैसे खांॅसी , पायरिया रोग में इसके पत्तियों को चबाने से लाभ होता है।
इसप्रकार हरे-भरे पेड़-पौधों के बीच सेवाकेन्द्र में आने वाले भाई-बहनों को बहुत ही शुुकुन व शांति, आनंद की अनुभूति होती है क्योेकि हरा रंग हमारे मन को बहुत आनंदित कर देता है। इसप्रकार सेवाकेन्द्र में चैतन्य व प्राकृतिक फूलों का बगीचा, दोनों का संगम दिखाई देता है और दीदीजी का लक्ष्य है कि आगे चलकर लोगों का प्राकृतिक चिकित्सा करके उनके उत्तम स्वास्थ्य की ओर ध्यान आकर्षित कर सकें। इस बगीचे को बनाने में चैतन्य बगीचे का बड़ा योगदान रहा है। पूर्वी बहन ने मोंगरे लगाये हैं, पाइकजी ने गुलाब का पैाधा, सुखराम भाई ने चीकू, राकेश भाई ने नारियल और संदीप भाई ने शहतूत। तो इसप्रकार सारा बगीचा चैतन्य बगीचे द्वारा लगाया गया।
दीदीजी ने पूरे बिलासपुर वासियों से अनुरोध किया है कि पर्यावरण को श्रेष्ठ बनाने के लिये ये अभियान बहुत समय से चलाया जा रहा है। जिसमें आप सभी प्रकृति को संरक्षित करने पेड़-पौधे लगायें व सहभागी बनें