Rajrishi
नेहरू युवा केन्द्र में प्रशिक्षण के दौरान महिला सशक्तिकरण व युवा विकास विशय पर व्याख्यान
बेटियों को बचाने के लिये महिला के साथ का पुरूष का भी सशक्तिकरण आवश्यक- ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
नेहरू युवा केन्द्र में प्रशिक्षण के दौरान महिला सशक्तिकरण व युवा विकास विशय पर व्याख्यान
टिकरापारा 17 अक्टूबर/बेटी बचाओ अभियान का उद्देश्य केवल तब पूरा नहीं होगा जब हम केवल पैदा होने वाली बच्चियों को बचायें इसके साथ साथ पूरी नारी जाति का बचाव जरूरी है। इसके लिये महिलाओं के साथ पुरूशों का भी सशक्तिकरण आवश्यक है। आज पत्नि को पतिव्रता और पतियों को पत्निव्रता होना बहुत आवश्यक हो गया है। हमें समझ रूपी अश्त्र-शस्त्र हमेंशा साथ रखना होगा कि किन परिस्थितियों में कौन सा निर्णय सही होगा। युवतियों को अपने पहनावे पर और युवकों को अपनी दृश्टि-वृत्ति पर विशेश ध्यान देना होगा। गुरूकुल परम्परा का महत्व जानकर युवाओं को कम से कम 25 वर्श तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन अवश्य करना चाहिये। आज अधिकतर युवा जिसे प्यार समझते हैं वह वास्तविक प्यार नहीं है बल्कि केवल षारीरिक आकर्शण ही है जो उन्हें अपने लक्ष्य से भटका देती है। और बाद में पश्चाताप के अलावा कुछ नहीं बचता। वास्तविक प्यार तो वह है जिसमें एक-दूसरे को आगे बढ़ाने की भावना होती है। परख षक्ति व निर्णय षक्ति बढ़ाने के लिये जीवन में आध्यात्मिकता आवश्यक है। इससे ही हम बौद्धिक, नैतिक एवं भावनात्मक रूप से सशक्त बन सकते हैं।
उक्त बातें नेहरू युवा केन्द्र के जिला कार्यालय में आयोजित राश्ट्रीय स्वयंसेवकों के आवासीय प्रशिक्षण में विशिश्ट वक्ता के रूप में आमंत्रित ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। आपने अजन्मा बेटी का मां के नाम पत्र सुनाकर सभी के हृदय को कोरों को नम कर दिया।
ब्रह्माकुमारी समीक्षा बहन ने युवाओं को विल पॉवर बढ़ाने का तरीका बताते हुए कहा कि मनोबल बढ़ाने के मुख्य तीन आधार होते हैं चैलेंज, प्यार और डर। जब किसी बात को हम चैलेन्ज के रूप में स्वीकार करते हैं तो हमारे अंदर की विल पॉवर जागृत हो जाती है। इसी प्रकार जब हमें अपने लक्ष्य से प्यार होता है या जिसने लक्ष्य दिया उससे प्यार होता है तो प्यार में तो सब कुर्बान कर दिया जाता है और लक्ष्य प्राप्त हो जाता है। ऐसे ही जब हमें डर असफलता का या उसके परिणाम का भय होता है तो वह भी हमारे मनोबल को बढ़ा देता है। हमारे अंदर अपार षक्ति समाहित होती है। हम देखते हैं कि कोई भी आंदोलन हो, नारेबाजी हो या कई निगेटिव कार्य हों, वहां युवा ही अधिक होते हैं। तो जब हम निगेटिव कार्यों में आगे रह सकते हैं तो पॉजिटिविटी में तो आगे जा ही सकते हैं।
ब्रह्माकुमारी पूर्णिमा बहन ने मेडिटेशन का महत्व बताते हुए सभी को मेडिटेशन कराया और षांति की गहराई का अनुभव कराया। मेडिटेशन के पश्चात् सभी रिफ्रेश हो गये।
अंत में प्रश्नोत्तरी सत्र में मंजू दीदी ने प्रशिथार्थियों के जीवन में आने वाली समस्याओं से संबंधित प्रश्नों के संतुश्टिदायक हल दिये।
युवा षक्ति पर आधारित गीत देखना जो चाहते हो इनकी उड़ान को, करना पड़ेगा ऊंचा और आसमान को…..पर सभी ने एक्सरसाइज और क्लेपिंग किया।
इस अवसर पर नेहरू युवा केन्द्र के जिला युवा समन्वयक राकेश षर्मा, प्रशिक्षकगण एवं युवा प्रशिक्षार्थी उपस्थित थे। तुझमें रब दिखता है यारा मैं क्या करूं… गीत गाकर सभी ने एक नए तरीके से मंजू दीदी एवं बहनों का धन्यवाद किया।