Connect with us
 

Rajrishi

ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में मनाया गया भैया दूज का पर्व

बहन-भाई के निष्छल प्रेम का प्रतीक है भैया दूज का पर्व
आत्मिक पवित्रता का यादगार पर्व भाई दूज- ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में मनाया गया भैया दूज का पर्व

bpl-n199692-largee 1cb7e962-5789-45bf-8812-f754bc316f9b Layout 1 aqua_power_hd_2016-11-02-04-09-17

‘‘रक्षा बंधन के पर्व की तरह भैया दूज भी बहन भाई के निष्छल प्रेम का प्रतीक है। इस संदर्भ में यम और यमुना की कहानी प्रचलित है जिसका आध्यात्मिक रहस्य यह है कि परमात्मा का एक कर्तव्य धर्मराज/यमराज का भी है। यम का अर्थ है कि वे आत्माओं के कर्मों का हिसाब करते हैं और दूसरा अर्थ है नियम-संयम का ज्ञान देने वाले। दोनों ही कर्तव्य परमात्मा के हैं। द्वापर युग से जब हम यमुना रूपी आत्मायें परमात्मा पिता को याद करती हैं तो कलियुग के अंत में जब पाप की अति हो जाती है तब वे हमारी पुकार को सुनकर वो इस धरा पर अवतरित होते हैं। तुम्हीं हो बंधु सखा तुम्ही हो….. की हमारी प्रार्थना सुनकर वह भाई, पिता, सखा सर्व संबंधों से साथ निभा रहे हैं और कहते हैं कि तुम मेरी श्रीमत पर चलोगे तो मैं तुम्हें सर्व पापों की सजाओं से मुक्त कर दूंगा।’’
उक्त बातें ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा में भैया दूज के अवसर पर उपस्थित भाई-बहनों को संबोधित करते हुए सेवाकेन्द्र प्रभारी ब्र.कु. मंजू दीदी जी ने कही। उन्होंने बताया कि यह पर्व आत्मिक पवित्रता का यादगार है जो सबसे सुरक्षित रिष्ता है। धन्य हैं वो जिन्हें भाई-बहन का प्यार नसीब होता है। ये रिष्तों में अटूट विष्वास, पवित्रता व मधुरता का संचार करता है। जब संबंधों में तनाव, मूल्यों में गिरावट होती है तब आत्मिक भाईचारे की भावना को बरकरार रखने के लिये यह त्योहार आता है।
दीदीजी ने शुभकामना व्यक्त करते हुए कहा कि सतयुगी भ्रातृभाव की झलक दिखाने वाले इस भैयादूज के पर्व पर हमारी शुभकामना है कि धरती पर अवतरित धर्मराज परमात्मा को पहचानकर, उनकी श्रीमत पर चलते हुए आप सभी प्रकार की सजाओं से मुक्त हो जायें। खुषनसीब है वो बहन जिसके सर पर परमात्मा पिता जैसे भाई का हाथ होता है, चाहे कुछ भी हालात हो, ये रिष्ता हमेंषा साथ होता है।
Continue Reading
Advertisement