Rajrishi
सेहतमंद ह््रदय के लिए खानपान, सकारात्मक विचार, व्यवस्थित दिनचर्या, प्राणायाम व ध्यान जरूरी

बिलासपुर टिकरापारा – दिल की बीमारियों के बढ़ने का विशेष कारण बढ़ता हुआ मानसिक तनाव व असंतुलित आहार है। मन को शांत रखने के लिए प्रतिदिन कम से कम 20 मिनट मेडिटेशन ध्यान का अभ्यास जरूर करना चाहिए। सकारात्मक चिंतन व ध्यान के अभ्यास से तनाव के विभिन्न कारणों को समझ उसे शांति से सुलझाया जा सकता है। ब्रह्माकुमारीज़ मुख्यालय माउंट आबू के ग्लोबल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में कई वर्षों से इस पर रिसर्च किए गए हैं। व्यवस्थित दिनचर्या, व्यायाम, प्राणायाम, आसन, संतुलित आहार और साथ-साथ राजयोग का अभ्यास इसका सहज, सफल उपचार है। उक्त बातें ब्रह्मा कुमारीज टिकरापारा सेवाकेंद्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने उपस्थित व ऑनलाइन जुड़े साधकों को वर्ल्ड हार्ट दिवस पर संबोधित करते हुए कहीं स ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने आगे कहा कि हमें स्वस्थ एवं सफल जीवन जीने के लिए अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करना होगा जिस प्रकार हम रोज आवश्यक कार्यों के लिए समय निकालते हैं उसी प्रकार रोजाना कम से कम एक घण्टे का समय अपने लिए होना चाहिए अर्थात् प्राणायाम व आसन जरूर करें कुछ समय वाकिंग, साइकिलिंग करें और लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करने की आदत डालें। अव्यवस्थित जीवनशैली, खानपान व तनाव हृदय रोग सहित अन्य रोगों का मुख्य कारण… दीदी ने बतलाया कि राजयोग मेडिटेशन में हम अपने मन को पूरी तरह से तनाव मुक्त अनुभव करते हैं और परमात्मा के साथ हमारे सर्व संबंध जुट जाते हैं उस अद्भुत सुख व आनंद के प्रभाव से शरीर के ह््रदय धमनियों में हुये अवरोध को ठीक कर सकते हैं। वर्तमान समय संबंधों में कटुता, स्वार्थ और भटकाव भी इस बीमारी को आह्वान करने का कारण है। एक गीत है इस दिल के टुकड़े हजार हुए कोई यहां गिरा कोई वहां गिरा अर्थात आज मानव अपने खुशी को अनेक जगह पर ढूंढ रहा है विभिन्न संबंधों में आश लगाए बैठा है और जब कहीं से धोखा मिलता है तो उसे सहने की क्षमता मनुष्य के अंदर नहीं रहती इसलिए ह््रदयाघात की बीमारी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अपने आप को धोखा नहीं देंगे तो दिल भी धोखा नहीं देगा… यदि हम अपने जीवन को सही रखते हैं तो कोई कारण नहीं कि हमारा हृदय हमको धोखा दे। हम धोखा अपने आपको दे रहे हैं। मोटापा बढ़ रहा है, कोई ध्यान नहीं है, एसिडिटी हो रही है गोली खा कर ठीक हो जाएंगे, पेट साफ नहीं होता, सोचते हैं दवा खाकर ठीक हो जाएंगे। इस प्रकार छोटी-छोटी बातों में हम अपने को धोखा दे रहे होते हैं वही कारण बन जाता है हृदय रोग का। इसलिए अपने दिल को एक परमात्मा की याद अर्थात मेडिटेशन में स्थिर कर दें तो हमारा दिल हमें कभी धोखा नहीं देगा। आपसी प्यार दिल को स्वस्थ करता है… प्रेम व सकारात्मक विचारों को जीवन में स्थान दें। आज हर मनुष्य आत्मा बैट्री डिस्चार्ज हो गई है अतः प्रेम की अपेक्षा न करते हुए प्यार बांटते चलें तो स्वतः ही हमें प्यार मिलता रहेगा और हमारा हृदय स्वस्थ रहेगा। अपना हर बोझ परमात्मा को सौंप दें और एक छोटे बच्चे की तरह हल्के होकर स्वयं को दिलाराम परमात्मा की गोद में अनुभव करते हुए कार्य करें। परमात्मा को जीवन के कर्म क्षेत्र पर अपना साथी बना कर रखें, उनसे अपने दिल की बातें साझा करें, ईश्वर से प्रेम भरे पवित्र प्रकम्पनों का हमेशा अनुभव करें। दिल की सेहत का ध्यान रखना इस दिन का मुख्य उद्देश्य दीदी ने कहा कि हृदय रोग पूरे विश्व में आज गंभीर बीमारी के तौर पर उभर कर सामने आ रही है दिल की सेहत के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाता है। इस खास दिन को मनाने की शुरुआत सबसे पहले सन 2000 में की गई थी उस समय यह तय किया गया कि हर साल विश्व हार्ट दिवस सितंबर माह के आखिरी रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों को दिल से जुड़ी बीमारियों के प्रति जागरूक करना है। वर्तमान परिवेश में नकारात्मक जीवनशैली के कारण छोटी उम्र से बुजुर्ग तक ह््रदय रोग से पीड़ित देखें जा सकते हैं। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अनुसार हार्ट संबंधी बीमारियों से हर साल करीब 18 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है। पिछले कुछ वर्षों में दिल की समस्याओं से पीड़ित लोगों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। इसमें अधिकांश 30 से 50 वर्ष की आयु के पुरुष व महिलाएं हैं स 35 वर्ष से ज्यादा उम्र के युवाओं में निष्क्रिय जीवनशैली और खाने की खराब आदतों के कारण दिल की बीमारी होने का खतरा बढ़ रहा है। सेहतमंद दिल के लिए यह विशेष दिन मनाने के साथ-साथ स्वयं के खानपान व जीवन शैली में विशेष परिवर्तन करने की आवश्यकता है। दीदी ने जानकारी दी कि कल गुरूवार को पितृ पक्ष श्राद्ध पर सभी पूर्वजों को याद करते हुए भोग लगाया जाएगा व इस दिन के लिए विशेष परमात्म महावाक्य सुनाए जाएंगे।