सकारात्मक चिंतन है मन का भोजन- ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
महाराजा रणजीत सिंह सभागार में राजयोग का परिचयात्मक सत्र
बिलासपुर, टिकरापारा 22 जूनः मेडिटेशन की चार अवस्थायें होती हैं – मनन-चिंतन, संवाद, एकाग्रता और फिर सबसे शक्तिशाली अवस्था है अनुभूति। इस अवस्था में ही शक्तियों का आविर्भाव होता है। साइंस द्वारा प्रमाणित है कि 20 मिनट ध्यान के अनुभूति की अवस्था से हमारे अंदर आठ घण्टे कार्य करने की क्षमता आ जाती है। इसके विपरीत यदि हम कार्यक्षेत्र में 5 मिनट भी क्रोध करते हैं तो हमारे दो घण्टे कार्य करने की क्षमता नष्ट हो जाती है। आज सभी के जीवन में सबसे जरूरी है क्रोध पर नियंत्रण। इसके लिये हमें राजयोग की पहली अवस्था-मनन चिंतन मदद करती है जिसके लिये प्रतिदिन सकारात्मक चिंतन की जरूरत है। जिस प्रकार हम शरीर का भोजन दिन में तीन-चार बार करते हैं किन्तु मन का भोजन है सकारात्मक चिंतन, उस पर हमारा ध्यान नहीं जाता। आज चारों तरफ नकारात्मक या व्यर्थ चिंतन ही मिलता है। सकारात्मक चिंतन किसी अच्छे व्यक्ति के सानिध्य से, प्रेरणादायी पुस्तकों से या फिर सत्संग से प्राप्त हो सकता है। इन्हीं सकारात्मक विचारों रूपी भोजन के लिये ही ब्रह्माकुमारीज़ के विश्व में स्थित सभी 9000 सेवाकेन्द्रों में प्रतिदिन प्रातः एवं सायं निःशुल्क सकारात्मक चिंतन की क्लास होती है जो हमें ऊर्जावान करती है व हमारे अंदर के अवगुणों को धीरे-धीरे समाप्त कर देती है।
उक्त बातें महाराजा रणजीत सिंह सभागार में आयोजित राजयोग के परिचयात्मक सत्र में ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए कही। आपने बताया कि राजयोग सभी योगों का राजा है क्योंकि यह गीता में स्वयं भगवान के द्वारा सिखलाया गया योग है और इसमें ज्ञानयोग, भक्तियोग, समत्वयोग, हठयोग, बुद्धियोग एवं सन्यासयोग सभी योग शामिल हैं। इसके चार आधार हैं परिचय, संबंध, स्नेह और प्राप्ति। सर्व प्राप्तियों के स्रोत परमपिता परमात्मा हैं जिनसे ही सर्व गुणों व शक्तियों की प्राप्ति होती है।
कार्यक्रम के अंत में पिछले 35 वर्षों से राजयोग का अभ्यास कर रहे शहर के प्रतिष्ठित व्यापारी भ्राता कैलाश अग्रवाल के द्वारा मैराथन के सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र एवं ईश्वरीय सौगात प्रदान किया गया। भक्ति गीतों पर डायमण्ड डांस ग्रुप की बहनों ने नृत्य प्रस्तुत किया।