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*ब्रह्माकुमारीज़ बलौदा में सरस्वती शिशु मंदिर के पदाधिकारियों के लिए स्नेह मिलन व सम्मान समारोह का आयोजन*

सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति

*जीवन जीने के लिए लौकिक के साथ अलौकिक ज्ञान का होना जरूरी*

*ब्रह्माकुमारीज़ बलौदा में सरस्वती शिशु मंदिर के पदाधिकारियों के लिए स्नेह मिलन व सम्मान समारोह का आयोजन*

*तिलक, गुलदस्ते व ईश्वरीय सौगात देकर बहनों ने किया सम्मान*

बलौदाः प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के बलौदा स्थित, शिव-दर्शन भवन सेवाकेन्द्र के द्वारा सरस्वती शिशु मंदिर के नए पदाधिकारियों के लिए स्नेह-मिलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सेवाकेन्द्र की बहनों ने तिलक लगाकर, पुष्पगुच्छ व ईश्वरीय सौगात देकर सभी पदाधिकारियों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर

*सशिमं के अध्यक्ष भ्राता काशीप्रसाद सोनी जी* ने अपना अनुभव सुनाते हुए कहा कि सेवाकेन्द्र में एक दिन आने से ही मन की शान्ति का अनुभव हुआ तो जो यहां रोज आते हैं उनका जीवन निश्चित ही सुख-शान्ति से भरपूर होगा।

*उपाध्यक्ष भ्राता भूपेन्द्र गुप्ता जी* ने कहा कि पदाधिकारी बनना अर्थात् सेवक बनना। पद में आने का उद्देश्य ठाठ-बाट से रहना या वेतनधारी बनना नहीं अपितु सेवा करने की प्रबलता व जिम्मेदारी बढ़ जाती है। ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय और सरस्वती शिशु मंदिर में समानता बताते हुए आपने कहा कि दोनों जगह ज्ञान दिया जाता है अंतर इतना ही है कि सशिमं में लौकिक ज्ञान व ब्रह्माकुमारीज़ संस्था में अलौकिक ज्ञान दिया जाता है और जीवन में दोनों ज्ञान का होना आवश्यक है। अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति के लिए हमें संस्था से अवश्य जुड़ना चाहिए व अपना जीवन मूल्यनिष्ठ बनाना चाहिए।

*सचिव भ्राता शिवकुमार सोनी जी* ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा किया जा रहा सम्मान सराहनीय कार्य है इससे हमें सेवाओं को अच्छी तरह करने की प्रेरणा मिलती है। *कोषाध्यक्ष भ्राता यज्ञकुमार स्वर्णकार, सदस्य भ्राता कृष्णलाल गुप्ता व पदेन सदस्य प्राचार्य भ्राता सूरजभान देवांगन जी* ने भी अपने विचार रखे। अंत में मेडिटेशन के द्वारा सभी ने परमात्मा का धन्यवाद किया।

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