Connect with us
 

Rajrishi

टिकरापारा व राज किशोर नगर सेवाकेन्द्र में हर्ष के साथ मनाया गया बसंत पंचमी का पर्व, ऑनलाईन भी जुड़े रहे कई साधक

सादर प्रकाषनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
ज्ञान, शान्ति, पवित्रता व सत्यता की देवी है मां सरस्वती – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
खुषी व आनन्द का मौसम है बसंत ऋतु
टिकरापारा व राज किषोर नगर सेवाकेन्द्र में हर्ष के साथ मनाया गया बसंत पंचमी का पर्व, ऑनलाईन भी जुड़े रहे कई साधक
मां सरस्वती की आराधना कर, फलों का भोग लगाकर व पर्व का आध्यात्मिक रहस्य बताकर मनाया गया यह पर्व

बिलासपुर राज किशोर नगर :- ज्ञानदायिनी, वीणावादिनी व श्वेत वस्त्र धारिणी मां सरस्वती ज्ञान, शान्ति, सत्यता व पवित्रता की साक्षात् स्वरूपा हैं। उनके गुण एवं विशेषताएं पवित्रता व दिव्यता पर आधारित हैं। जहां भी मां का वास होता है वहां शान्ति होती है। उनके सानिध्य में तो तत्व भी शान्त हो जाते हैं और उनकी आज्ञा का पालन करते हैं। सभी भक्त व विशेष रूप से विद्यार्थी आज के दिन उनकी आराधना करके उनसे ज्ञान का वरदान मांगते हैं जिससे अज्ञान और तमस रूपी अंधकार दूर होता है।
उक्त बातें राज किशोर नगर स्थित शिव-अनुराग भवन में मां सरस्वती पूजा के दिन साधको को संबोधित करते हुए ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही।

ईश्वरीय प्रेम का प्रतीक है बसंत पंचमी का पर्व
दीदी ने शबरी और राम का दृष्टांत देते हुए बतलाया कि शबरी ने श्रीराम को मीठे बेर खिलाने के उद्देश्य से जूठे बेर खिलाए और राम ने उन्हें सहर्ष स्वीकार किया। यह ईश्वरीय प्रेम का ही प्रतीक है। इसी घटना के यादगार में ही बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह हमें बताता है कि भगवान को सिर्फ सच्चा प्यार चाहिए।
अपने तरूण अवस्था में होता है प्राकृतिक सौन्दर्य
बसंत ऋतु में प्राकृतिक सौंदर्य अपने तरूण अवस्था में होता है। इस समय कलियां सुंदर व सुगन्धित पुष्पों में परिवर्तित हो जाती है। इस त्योहार के आते ही सभी आयु के लोग खुशी और आनन्द से सराबोर हो जाते हैं। जो हमारी इच्छाओं को महत्वाकांक्षा में परिवर्तन करने का अवसर होता है।
गुप्त सरस्वती नदी संगम युग का यादगार
त्रिवेणी संगम पर सरस्वती नदी को गुप्त बताया जाता है जो कि वर्तमान पुरूषोत्तम संगमयुग का यादगार है। इस समय स्वयं परमात्मा शिव परमात्मा की अवतरण भूमि व देवभूमि भारत में ब्रह्मामुख से ज्ञान देकर गुप्त रूप से स्वर्णिम दुनिया की स्थापना का कार्य कर रहे हैं। साधारण तन में आए हुए परमात्मा को कोटों में कोई और कोई में भी कोई ही पहचानता है और स्वयं के परिवर्तन से विश्व परिवर्तन के कार्य के लिए दैवीय गुणों को धारण करता है। मां सरस्वती को ब्रह्मा की बेटी कहा जाता है जो ज्ञान की देवी हैं।
सत्संग से पूर्व सभी साधक मां सरस्वती के स्नेह के गीतों में ईश्वरीय प्रेम की स्मृति व भक्ति भाव में खोए रहे। सत्संग के पश्चात् मंजू दीदी व सभी साधकों ने मिलकर मां सरस्वती की आराधना की। उन्हें विभिन्न प्रकार के फलों का भोग स्वीकार कराया व अंत में सभी को प्रसाद दिया गया। टिकरापारा में भी ब्र.कु. शशी बहन, समीक्षा बहन, पूर्णिमा बहन व सभी भाई-बहनों ने मां सरस्वती की आरती की। कु. प्रीति बहन ने मां सरस्वती की वंदना गाई।
Continue Reading
Advertisement