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Rajrishi

 *सदा उमंग उत्साह में रहो तो आलस्य खत्म हो जाएगा- ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

प्रेस विज्ञप्ति

सादर प्रकाश नार्थ :

*अटेंशन रखने पर टेंशन सहज समाप्त हो जाता है – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*

 

*सर्व खजानो को व्यर्थ जाने से बचाना ही खाता जमा करना है – ब्रम्हाकुमारी मंजू दीदी*

 

*गुणों व शक्तियों को कार्य में लगाओ तो वह बढ़ते जाएंगे – ब्रम्हाकुमारी मंजू दीदी*

*प्रभु देन, परमात्म देन को मेरा मानना यह है महापाप -ब्रह्माकुमारी मंजू*

 

*सफल करना ही सफलता की चाबी है – ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी*

*सदा उमंग उत्साह में रहो तो आलस्य खत्म हो जाएगा- ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

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बिलासपुरl टिकरापाराl प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय टिकरापारा प्रभु दर्शन भवन में रविवार की विशेष क्लास में साधकों को परमात्मा महावाक्य सुनाते हुए टिकरापारा सेवाकेंद्र संचालिका ब्रम्हाकुमारी मंजू दीदी ने कहा कि जून मास हम सभी के लिए विशेष तपस्या मास है तपस्या अर्थात एक परमात्मा की स्मृति हमारे हृदय में बसी हो l परमात्मा से हमें अविनाशी भाग्य प्राप्त है lअविनाशी भाग्य को हमेशा अविनाशी रखना हैl यह सिर्फ सहज अटेंशन देने की बात है टेंशन वाला अटेंशन नहीं सहज अटेंशन हो और मुश्किल है भी क्या? परमात्मा की सत्य पहचान मिलीlपरमात्मा बीज है और बीज में सृष्टि का सारा आदि मध्य अंत का ज्ञान समाया हुआ है परमात्मा कहते हैं कि मुझसे जो भी खजाने तुम्हें प्राप्त हुए हैं उन खजानों को जमा करो, बढ़ाओ, व्यर्थ से बचाओl श्वास का खजाना,संकल्प का खजाना, गुणों का खजाना,समय का खजाना,शक्तियों का खजाना, ज्ञान का खजाना l सभी खजाने जितना स्व के प्रति और औरों के प्रति शुभ वृत्ति से कार्य में लगाएंगे उतना जमा होता जाएगा बढ़ता जाएगा यहाँ खदानों को कार्य में लगाना यह जमा की विधि हैl गुणों व शक्तियों को कार्य में लगाओ तो बढ़ते जाएंगे l मनुष्य को प्राप्त गुण व शक्तियां परमात्मा देन प्रभु प्रसाद है, और प्रभु देन को मेरा मानना यह महापाप है, प्रभु प्रसाद को अपना मानना यह अभिमान और अपमान करना है l इसलिए परमात्मा दाता को कभी भूलना नहीं चाहिए l ब्रम्हाकुमारी मंजू दीदी ने आगे कहा कि मिले हुए खजाने को सफल करो अपने ईश्वरीय संस्कारों को भी सफल करो तो व्यर्थ संस्कार स्वत: ही चले जाएंगे, ईश्वरीय संस्कारों को कार्य में नहीं लगाते हो तो वह लॉकर में रहते और पुराना काम करते रहते हैं कईयों की आदत होती है बैंक में या अलमारियों में रखने की बहुत अच्छे कपड़े होंगे, पैसे होंगे, चीजें होंगी लेकिन यूज़ फिर भी पुराने करेंगे l इसलिए मिले हुए ईश्वरीय संस्कारों को कार्य में लगाओ, सफल करोl सफल करना ही सफलता की चाबी है सिर्फ अपने में ही खुश नहीं होते रहो,

ऐसा करने के लिए हमेशा उमंग उत्साह बनाए रखना चाहिए lसदा उमंग उत्साह में रहो तो आलस्य भी खत्म हो जाएगा और अपने मूल लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकेंगे l

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