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बड़ी बात को तिल के समान छोटा करें…ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

सादर प्रकाशनार्थ
प्रेस विज्ञप्ति
बड़ी बात को तिल के समान छोटा करें…ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी
संस्कार परिवर्तन दिवस है मकर संक्रान्ति
ब्रह्माकुमारीज़ टिकरापारा सेवाकेन्द्र में मकर संक्रान्ति मनाई गई…
पर्व का आध्यात्मिक रहस्य बताया गया व सभी को तिल-गुड़ की मिठाई खिलाई गई…
बिलासपुर टिकरापारा :- कोई भी छोटी-सी बात होती है तो कई लोग उसे समाप्त करने के बजाय पहाड़ के समान बड़ा कर देते हैं। वर्तमान दौर सूक्ष्मता का, डिजीटल का है। जिस प्रकार समय ऑडियो कैसेट्स, डी.वी.डी., सीडी व पेन ड्राइव से लेकर मेमोरी माइक्रो चिप की ओर और अब तो इंटरनेट के द्वारा भी गीत, विडियो आदि सुनने-देखने की विधि आ गई है। उसी प्रकार हमें तिल के समान छोटी बातों को पहाड़ के समान करने के बजाय उसे समाप्त करने की कोशिश करनी चाहिए। नहीं तो जो घटना हुई है उसके दर्द से अधिक उसके बारे में बात कर कर के तकलीफ में रहते हैं।
उक्त बातें मकर संक्रान्ति के अवसर पर टिकरापारा सेवाकेन्द्र में आयोजित रविवार विशेष सत्संग में ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी जी ने कही। आपने पर्व का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए कहा कि तिल का लड्डू संगठन में मधुरता का प्रतीक है तिल ऐसे ही खाने से कड़वा लगता है लेकिन जब मीठे के साथ मिल जाता है तो बहुत अच्छा लगता है। इसलिए स्वयं के संस्कारों को मीठा व स्नेहयुक्त बनाकर बीती बातों का, कमजोरियों का दान देना ही सच्ची संक्रान्ति है। इस तरह यह दिन संस्कार परिवर्तन दिवस की तरह है।
दीदी ने बतलाया कि सूर्योदय पूर्व स्नान शारीरिक शुद्धता व संस्कार निर्माण के लिए है लेकिन आत्मा की शुद्धता के लिए प्रतिदिन ज्ञान और ध्यान का स्नान जरूरी है। पतंग उड़ाना आत्मिक उड़ान की निशानी है जब हम ईश्वर से प्रेम करते हैं व सर्व सम्बन्धों रूपी डोर से बंधते हैं तब हम हल्के होकर पतंग के समान उड़ने लगते हैं।
सत्संग व ध्यान के पश्चात् सभी को गुड़-तिल की मिठाई खिलाई गई।